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किसी दबाव में नहीं आउंगी : ममता

‘पोरिबोर्तोन’ (बदलाब) का जो नारा लेकर ममता बनर्जी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंची थीं, वही नारा अब विपक्षी वाममोर्चा और कांग्रेस के लिए धारदार हथियार बनने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि वे आगे क्या लाइन लेंगी? पेश है ममता बनर्जी से दीपक रस्तोगी की कुछ समय पूर्व हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
किसी दबाव में नहीं आउंगी : ममता

कांग्रेस और वाममोर्चा के एक साथ आने पर आपकी टिप्पणी?

मैं 1997 की याद दिलाना चाहूंगी, जब कांग्रेस और माकपा में अघोषित तालमेल था। तब मैं ‘तरबूज कांग्रेस’ से बाहर निकल आई थी। बंगाल में कांग्रेस ने माकपा की मदद करने के लिए हमेशा अपनी विचारधारा ताक पर रखी है। आज तो खुलेआम वही हो रहा है। यह गठजोड़ नहीं, अवसरवाद है।

बंगाल में आप तृणमूल के लिए कितनी सीटों की उम्मीद लगा रही हैं?

हमने बंगाल की सभी 294 सीटें यहां के लोगों को डेडीकेट कर दिया है। अब वे ही तय करेंगे कि हमारी झोली में कितना डालना है। 

बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा रुकनहीं रही हैं। पिछले साल के नगर निकाय चुनाव में धन और बाहुबल का बोलबाला रहने के आरोप विपक्ष ने लगाए। यह कैसा परिवर्तन’? 

जंगलमहल से लेकर पहाड़, सुंदरबन से लेकर डुआर्स के मैदानी इलाके और पुरुलिया की लालमाटी से लेकर बनगां में बांग्लादेश की सीमा तक - सभी इलाके मैंने छान मारे हैं। लोग हमारे ‘मां-माटी-मानुष’ के नारे के साथ हैं। जो लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित करना चाहते हैं, उन्हें हर बार जवाब मिला है। इस बार भी मिलेगा। लोगों का डर खत्म हुआ है। विपक्ष को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।

बंगाल में सत्ता पक्ष और विपक्ष में संबंधों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। खासकर, राजनीतिकहिंसा के संदर्भ में। गवर्नेंस को लेकर असहयोग की खबरें तो सुर्खियां बनती ही हैं।

कई छोटे मुद्दों को मीडिया में हाईप मिल जाता है, जिससे बंगाल की छवि खराब हो रही है। हकीकत यह है कि लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है। जनता हमारे साथ है। षडयंत्र सफल नहीं हो रहे।

किस तरह के षडयंत्र?

बंगाल में संवैधानिक संकट खड़ा करने का षडयंत्र। मैं जब तक सत्ता में हूं, गड़बड़ी नहीं चलने दूंगी।

बतौर मुख्यमंत्री अपने कामकाज से आप संतुष्ट हैं?

संतुष्ट हूं और नहीं भी। संतुष्ट इसलिए कि मैंने जमीन बैंक, रोजगार बैंक, विद्युत बैंक की योजनाएं शुरू की हैं। पहाड़ (दार्जीलिंग), जंगलमहल, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि- हर क्षेत्र में सीधे सौ फीसद काम शुरू किया गया है। वाममोर्चा ने प्रशासन को अचल कर रखा था। मैंने पंचायत और ब्लॉक स्तरीय प्रशासन के बीच तालमेल कायम किया है। कृषि क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति बंगाल से शुरू हुई है। कृषि उत्पादन बढ़ा है। दरअसल, मैंने बंगाल से यह संस्कृति खत्म कर दी है कि काम नहीं होगा। फिर भी, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मैं सब कुछ बदल दूंगी- इसका अहंकार मुझे नहीं है। कई जगह अच्छे काम हुए हैं।

लेकिन औद्योगीकरण के मोर्चे पर तो बंगाल पिछड़ता दिख रहा है। अधिकांश उद्योगपति यहां से निराश हैं। पूंजी तो नहीं आ रही।

औद्योगीकरण मेरी सरकार की प्रायोरिटी है। सिंगूर और नंदीग्राम के चलते हमारे पर शिल्प-विरोधी का तमगा लगा दिया गया है। कुप्रचार चल रहा है। मैं औद्योगीकरण की विरोधी नहीं हूं। राज्य में बड़े उद्योग नहीं लगे तो नौकरियां कैसे आएंगी- यह मैं जानती हूं। मैं जमीन अधिग्रहण के खिलाफ भी नहीं हूं। लेकिन मैं गरीब और किसानों के हितों की बलि नहीं चढ़ा सकती। इन दो विरोधाभासी परिस्थितियों के बीच से मुझे रास्ता निकालना है। पिछली सरकार के मंत्री उद्योगों के लिए जमीन अधिग्रहण के नाम पर दलाली करते थे। मैंने वह बंद कराया है।

लेकिन आपकी पार्टी के नेता जगह-जगह सिंडिकेट के नाम पर वही सब कुछ नहीं कर रहे? राजारहाट, मेदिनीपुर, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना समेत कई जिलों में आपकी पार्टी के नेता जमीन के धंधे से जुड़ गए हैं और घरेलू कलह चरम पर है। हत्याएं तकहो रही हैं।

छिट-पुट कुछ घटनाओं को बहुप्रचारित कर तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व के चरित्र हनन की कोशिश की जा रही है। मैंने पार्टी के नेता-कार्यकर्ताओं को चेतावनी जारी की है। आरोप लगते ही कार्रवाई हो रही है। आपराधिक घटनाओं के मामलों में मैंने पुलिस को रियायत नहीं बरतने दी है। पुलिस-प्रशासन को काम करने की पूरी छूट है। यह जरूर है कि कई छोटी घटनाओं को लेकर मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया गया। इससे मेरा कुछ बिगड़ने वाला नहीं। जनता मेरे साथ है। सब कुछ समझती है।

वर्ष 2011 में राजनीतिक परिवर्तन के लिए आपके मां-माटी-मानुषके मुद्दे के साथ कांग्रेस थी। दो साल के भीतर ही साथ टूट गया। अब वह व्यापक  हमले की तैयारी में है। इससे मद्देनजर आपकी राजनीति का एजेंडा और स्वरूप क्या होगा?

हम अकेले चल रहे हैं। हमें फर्क नहीं पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में हमारी ताकत बढ़ी। आगे भी बढ़ेगी। हमारा एजेंडा बंगाल है। मुझे कोई कैफियत देने की जरूरत नहीं हैं। बंगाल अरसे से अवहेलित राज्य रहा है। माकपा ने यहां के लिए कुछ नहीं किया। यह मुद्दा ही मेरी राजनीति मेरा फुल टाइम काम है। मेरा समर्पण है।

बंगाल में आप अपने किस एचीवमेंट का उदाहरण चुनाव में लोगों के सामने रखना चाहती हैं?

हमारी उद्योग नीति और जमीन नीति को लोग समझने लगे हैं। हम मंझोले और लघु उद्योग के पक्ष में हैं, जिसके लिए जमीन कम लगेगी। बंगाल में मेरी सरकार के आंकड़े उठाकर देख लीजिए। विपक्ष के प्रोपेगैंडा की हकीकत सामने आ जाएगी। बंगाल का जीडीपी (7.6 फीसद) नेशनल एवरेज (4.96 फीसद) से ज्यादा है। औद्योगिक विकास दर नेशनल एवरेज 3.12 फीसद से दोगुना है। मनरेगा में हमारा राज्य नंबर एक है।

लेकिन कई मामलों में आपकी सरकार की छवि बेहद प्रभावित हुई, खासकर सारधा चिट फंड घोटाले में। मदन मित्र की उम्मीदवारी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। वे सारधा घोटाले के आरोपी हैं और जेल में बंद हैं।

हम पर जनता का भरोसा बना हुआ है। हमारे एकाध नेताओं के नाम आए हैं। जांच चल रही है। इससे जनता का मन नहीं बदलेगा। मदन मित्र के खिलाफ जांच में कोई सबूत नहीं मिले हैं। चोर और डकैतों को बेल मिल जाती है, उन्हें साजिशन जेल में रखा गया है। उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।  

 

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