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दंगों की आग में जल उठा अजीजपुर

दंगे को लेकर सरैया थाना पुलिस की भूमिका कठघरे में है। छात्र भारतेंदु के अपहरण के आरोपी के खिलाफ सुबूत देने पर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह युवक के सकुशल होने की बात कहती रही। जैसे ही छात्र का शव मिला लोग बेकाबू हो गए। पुलिस की कमजोरी यहां भी सामने आई। क्योंकि लगातार सूचना दिए जाने के बाद भी पुलिस वहां नहीं पहुंची। जबकि दो घंटे तक उपद्रवी हिंसा व आगजनी करते रहे।
दंगों की आग में जल उठा अजीजपुर

हाड़ कंपाने वाली ठंड और घने कोहरे की चादर में लिपटा था चप्पा-चप्पा। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अजीजपुर गांव के लोग भी घरों में ही दुबके थे। सुबह दस बजने वाले थे तभी गेहूं के खेत से एक युवक का शव मिलने की खबर जंगल की आग की तरह फैली। यह शव था डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित बहिलवारा गांव के भारतेंदु सहनी का। फिर क्या था दोपहर एक बजते-बजते अजीजपुर पर बहिलवारा गांव के लोग कहर बनकर टूट पड़े। अजीजपुरवासी कुछ समझ पाते इससे पहले ही गांव धू-धूकर जलने लगा। देखते ही देखते पचास घरों में आग लगा दी गई। जो मिला, जो हाथ आया आग में झोंक दिया गया। पलक झपकते कई लोगों की हत्या कर दी गई। बदहवास भाग रहे ग्रामीणों को बचने का मौका भी नहीं मिला। बहिलवारा सहनी जाति बहुल गांव है। भारतेंदु यहीं का रहने वाला था। वह मुस्लिम बहुल अजीजपुर गांव की युवती से प्रेम करता था। दोनों के परिवारों में न सिर्फ घनिष्ठ संबंध थे बल्कि इसक प्रेम संबंध की भनक भी थी। एक बार मामले को लेकर पंचायत भी बैठी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसी बीच नौ जनवरी को भारतेंदु लापता हो गया। परिजनों ने 11 जनवरी को स्थानीय थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। लड़की के पिता वसी अहमद के पुत्र विक्की पर दुश्मनी के कारण अपहरण कर हत्या का आरोप लगाया गया। मामले को प्रेम प्रसंग मानकर पुलिस ने जांच में कोताही बरती। दस दिन बाद 18 जनवरी को जब वसी अहमद के घर के पीछे गेहूं के खेत से भारतेंदु का शव बरामद हुआ तो अफवाह फैलाई गई कि मुसलमानों ने मस्जिद में भारतेंदु की हत्या कर शव खेत में गाड़ दिया है। अफवाह फैलाने वाले कौन थे यह जांच का विषय है। लेकिन इस अफवाह ने कई दिनों से सुलग रही आग में घी का काम किया। दंगाइयों ने आरोपी वसी अहमद समेत गांव के 50 मकानों और कई वाहनों को आग लगा दी। पांच लोगों की मौत हो गई। दर्जनों घायल हो गए। उनके माल-मवेशी भी जला दिए गए। लोग अपने घर छोड़कर चले गए। स्थिति पर काबू पाने के लिए कई जिलों से पुलिस बुलानी पड़ी। दूसरे दिन गांव वाले अपने घरों की ओर लौटे। घटना के दिन सूचना मिलने पर तिरहुत के प्रमंडलीय आयुक्त अतुल कुमार व जोनल आईजी पारस नाथ के साथ कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। पर दंगाइयों ने पुलिस को भी खदेड़ दिया। कई थानों की पुलिस आने के बाद शाम को भारतेंदु का शव खेत से निकाला गया। राज्य सरकार ने तत्काल गृह सचिव सुधीर कुमार व एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पाण्डेय की संयुक्त जांच टीम गठित कर मौके पर भेजा। तब तक देर हो चुकी थी। सबकुछ खाक हो चुका था। सरकार ने मरहम लगाने के लिए घटना में मारे गए लोगों के परिजनों व भारतेंदु के परिजनों को भी पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा और घायलों के इलाज के लिए 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की।

घटना के दूसरे दिन सोमवार की देर रात दो हजार लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें एक दर्जन को नामजद किया गया। पुलिस ने नामजद समेत 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों में हरेंद्र साह, महेंद्र साह, गुड्डू भगत, दीपक पासवान, संतोष, सुरेश, कैलाश सहनी, यदुनंदन सहनी, पप्पू, रतन, मदन व रविरंजन को नामजद किया गया है। यह केस सरैया थानाध्यक्ष के बयान पर दर्ज किया गया। वहीं गेहूं के खेत में एक और युवक का शव मिलने के बाद मरने वालों की संख्या चार हो गई है।

घटना के बाद मंत्रियों, सांसदों व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अजीजपुर आने का तांता लग गया। इलाके में तनाव के मद्देनजर एसएसबी, सीआरपीएफ, बीएमपी, जिला पुलिस व रैपिड एक्शन फोर्स तैनात कर दी गई। घटना के तीसरे दिन मंगलवार को सरैया के एसडीपीओ समेत चार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। एसडीपीओ संजय कुमार को जहां हटा दिया गया वहीं एडीजीपी मुख्यालय गुप्तेश्वर पांडेय के आदेश पर थानेदार आशुतोष कुमार, पारू अंचल के पुलिस इंस्पेक्टर सुधाकर नाथ व जांच अधिकारी संदीप कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया। इन तीनों के निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। हटाए गए सरैया एसडीपीओ को विशेष शाखा में योगदान देने को कहा गया है। इस बीच भारतेंदु की हत्या के आरोपी सदाकत उर्फ विक्की और दंगे व आगजनी के 12 आरोपियों को जेल भेज दिया गया। दो फरवरी तक सरैया इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। बाहरी लोगों की आवाजाही को लेकर प्रशासन अलर्ट है। वहां आने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही है। गांव से भागे लोग वापस लौट आए हैं।

कठघरे में पुलिस

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