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योगी के पहले बजट में दिखी बेहतर वित्तीय प्रबंधन की छाप

बजट के बारे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने खर्चों में कटौती करते हुए बिना किसी नए कर के अपने वादे पूरे करने के लिए ज़रूरी धन का प्रबंधन किया है।
योगी के पहले बजट में दिखी बेहतर वित्तीय प्रबंधन की छाप

सत्ता संभालने के 100 दिन बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश अपने पहले ही बजट में योगी आदित्यनाथ सरकार नें दक्ष वित्तीय प्रबंधन की छाप छोड़ी है।

जहां एक ओर 2017-18 का सालाना बजट पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के पिछले 2016-17 के सालाना बजट से करीब 11% अधिक होकर रु 3,84,659 करोड़ पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर योगी सरकार नें उप्र के राजकोषीय घाटे को पिछले साल के 4.41% स्तर से घटा कर 2.97 पर अनुमानित किया है।

पिछले कई वर्षों से राज्य का राजकोषीय घटा मानकों के 3% से अधिक रही है। वहीं, राज्य की ऋणग्रसता सकल घरेलु उत्पाद का 28.6% पर अनुमानित है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के 30% के स्तर से कम है। उप्र की ऋणग्रसता भी पिछले कई सालों से 30% से ऊपर रही है।

प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल द्वारा मंगलवार को सदन में बजट पेश करने के बाद, मीडिया को संबोधित करते हुए, योगी ने अपनी सरकार और अधिकारियों की पीठ थपथपाते थपथपाई। योगी ने कहा कहा कि उनकी सरकार ने अपने कुशल वित्तीय प्रबंधन द्वारा, खर्चों में कटौती करते हुए बजट में नए कर का प्रस्ताव किये बिना ही अपने वादों के लिए ज़रूरी धन कर प्रबंधन कर लिया है।

सत्तासीन भाजपा की सबसे अग्रणी फसल कर्ज माफ़ी के लिए भी योगी सरकार नें बिना अपने पूर्ववर्ती घोषणा के अनुसार बाज़ार में बांड द्वारा धन जमा करने की योजना पर अमल करते हुए भी धन का पर्याप्त इंतजाम कर लिया है।

उप्र के अपर मुख्या सचिव (वित्त) अनूप चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि सरकार ने केंद्र द्वारा वित्तीय प्रबंधन के सारे मानकों को पूरा करते हुए भी सारे विकास कार्यों के लिए धन कि व्यवस्था कर ली है। योगी सरकार अगले पांच सालों में 10% कि विकास दर का लक्ष्य निर्धारित किया है।

योगी सरकार ने अपने संकल्प पत्र में शामिल घोषणाओं को पूरा करने के लिए रु 55000 करोड़ का प्रावधान बजट में किया है। कर संग्रह में भी सरकार नें वृद्धि का लक्ष्य रखा है। पूर्व की अखिलेश यादव सरकार की कई योजनायों को या तो बंद कर दिया गया है या फिर उनका नाम बदल दिया गया है।

 2017-18 के बजट की खास बातें

लघु एवं सीमान्त किसानों के फसली ऋण अदायगी के लिए 36,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

फसलों की उपज बढ़ाने हेतु वर्मी कम्पोस्ट की उपलब्धता बढ़ाये जाने की योजना के लिए 19 करोड़ 56 लाख रुपये की व्यवस्था।

प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए 288 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था।

सड़कों के अनुरक्षण एवं गड्ढामुक्त किये जाने के लिए 3 हजार 972 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

पूर्वांचल की विशेष योजना के लिए 300 करोड़ रुपये तथा बुन्देलखण्ड की विशेष योजनाओं के वास्ते 200 करोड़ रुपये की नई योजनाएं प्रस्तावित हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत सबके लिए आवास के लिए 3000 करोड़ रुपये के कार्य प्रस्तावित हैं।

चिह्नित स्थलों पर हवाई पट्टियों के निर्माण और सुदृढ़ीकरण वे भूमि अर्जन के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

इलाहाबाद के अर्द्धकुम्भ मेला की तैयारी के लिए 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

आवास विहीन एवं कच्चे आवासों में निवास करने वाले परिवारों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल एवं विन्ध्य क्षेत्र में सतही जल आधारित ग्रामीण पेयजल योजना के लिए 2 हजार 800 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

“स्मार्ट सिटी मिशन’’ कार्यक्रम के लिए 1500 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

“स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) योजना’’ के लिए 1000 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

 “प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिये आवास (शहरी) मिशन’’ योजना के लिये 3000 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

 “सर्व शिक्षा अभियान’’ के लिए 19 हजार 444 करोड़ 35 लाख रुपये की व्यवस्था।

 अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति योजना के वास्ते 791 करोड़ 83 लाख रुपये की व्यवस्था।

 अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं की फीस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

 मान्यता प्राप्त मदरसों तथा मकतबों में धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक विषयों की शिक्षा के लिए 394 करोड़ रुपये की व्यवस्था।

अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं के शैक्षिक एवं आर्थिक विकास के लिये अल्पसंख्यक सघन आबादी वाले क्षेत्रों में महिला छात्रावास के लिए 18 करोड़ 41 लाख रुपये की व्यवस्था।

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