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शिवसेना के आगे झुकी भाजपा, मेयर पद की दौड़ से अलग

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) मेयर सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों की दौड़ से भाजपा द्वारा खुद को अलग किए जाने के साथ ही शिवसेना के प्रत्याशियों का रास्ता साफ हो गया है। चुनावों के दौरान कांटे की टक्कर के बाद आज भाजपा ने कहा कि वह मेयर का चुनाव नहीं लड़ेगी, वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा की।
शिवसेना के आगे झुकी भाजपा, मेयर पद की दौड़ से अलग

 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आज कहा कि भाजपा मेयर और उप मेयर के पदों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। शिवसेना ने इससे कुछ ही देर पहले दोनों पदों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी। निकाय चुनाव के कारण शिवसेना के साथ रिश्तों में तनाव के बाद अपने मंत्रिमंडल पर किसी तरह के खतरे से इनकार करते हुए फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी उक्त दोनों पदों के अलावा निकाय की महत्वपूर्ण स्थाई समिति और अन्य पैनलों के अध्यक्ष पदों के लिए भी अपने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी।

पारदर्शिता के मुद्दे पर निकाय चुनाव में भाजपा का नेतृत्व करने वाले फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी बीएमसी में निगरानी करने वाले की भूमिका में रहना पसंद करेगी। उन्होंने कहा, मुंबई के लोेगों ने दिल खोलकर भाजपा को वोट दिया क्योंकि उन्हें स्थानीय निकाय प्रशासन में हमारी पारदर्शिता के एजेंडे पर यकीन है।

उन्होंने कहा, शिवसेना सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई है, जबकि भाजपा उससे दो सीट पीछे है। ऐसे में हमारे पास अपना मेयर बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। इसमें हमें अन्य दलों का समर्थन लेने की जरूरत पड़ती।

फडणवीस ने कहा, भाजपा बाहर से समर्थन लेकर पारदर्शिता के मुद्दे पर समझौता नहीं करना चाहती। इसलिए पार्टी ने मतदाताओं द्वारा उसमें दिखाए गए विश्वास को बनाए रखने का विकल्प चुना। इसे सरकार (प्रदेश) बनाए रखने के लिए समर्पण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। राज्य की गठबंधन सरकार में शिवसेना अहम सहयोगी है।

उन्होंने कहा, मेरी सरकार स्थिर है। कल, शिवसेना के मंत्रियों ने कैबिनेट बैठक में भाग लिया और हमारे बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनी। शिवसेना ने भाजपा के फैसले का स्वागत किया और जनता की भावनाओं का सम्मान करने के लिए फडणवीस को धन्यवाद दिया।

मेयर तथा अन्य पदों पर उम्मीदवार नहीं उतारने संबंधी भाजपा की घोषणा से कुछ ही घंटे पहले शिवसेना ने मेयर पद के लिए विश्वनाथ महादेश्वर और उप मेयर के पद पर हरेश्वर वर्लिकर के नामों की घोषणा की थी। चुनावों के बाद सबसे बड़े दल के रूप में उभरी शिवसेना (84) और भाजपा (82), दोनों में से किसी के पास 227 सदस्यीय निकाय में पर्याप्त संख्या नहीं है। सबसे ज्यादा नगर सेवकों वाली पार्टी के दोनों पदों के लिए उम्मीदवार चुन लिए जाएंगे बशर्ते अन्य दल संयुक्त रूप से अपना प्रत्याशी ना उतारें। अगले मेयर का चुनाव आठ मार्च को निकाय के नए सदन की पहली बैठक में होगा। नामांकन भरने का आज अंतिम दिन था।

महाराष्ट्र, विशेष रूप से मुंबई स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर चुनाव प्रचार किया। इससे एकबार, राज्य की भाजपा नीत सरकार के खतरे में पड़ने के संकेत नजर आने लगे थे। भाजपा ने प्रदेश के सभी निकाय चुनावों में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है और शिवसेना के गढ़ बीएमसी में सेंध लगाते हुए 82 सीटें हासिल की हैं।

हालांकि, इसबीच कांग्रेस की मुंबई ईकाई का दावा है कि मेयर चुनाव में भाग नहीं लेने की घोषणा करके भाजपा ने यूटर्न ले लिया है। पार्टी ने भ्रष्टाचार और पारदर्शिता को मुद्दा बनाकर शिवसेना के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था।

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