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चमड़ा कारखानों को लेकर एनजीटी ने उप्र सरकार को फटकार लगाई

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गंगा में अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के लिए कानपुर में गंगा के तट पर स्थित चमड़ा कारखानों को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि वह राजा की तरह व्यवहार नहीं कर सकती।
चमड़ा कारखानों को लेकर एनजीटी ने उप्र सरकार को फटकार लगाई

एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, आप संघीय ढांचे के अंतर्गत एक लोकतांत्रिाक सरकार हैं। आप राजा नहीं है कि आपने एक निर्णय किया और उस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। आप चमड़ा कारखानों को दूसरी जगह ले जाने के पक्ष में नहीं है और इसे राजनैतिक अपनी राजनीतिक इच्छा बताते हैं। क्या कोई अदालत राजनीति इच्छा को स्वीकार करेगी? अगर आपको इससे इंकार है तो आपको इसका उचित कारण बताना चाहिए।

 

इससे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार ने हरित पैनल को बताया कि वह किसी दूसरे स्थान पर चमड़ा उद्योग को ले जाने के पक्ष में नहीं है क्योंकि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। इसके बाद एनजीटी ने यह बात कही। अधिकरण ने सरकार की इस दलील पर कहा कि स्वच्छ पर्यावरण नागरिकों का बुनियादी अधिकार है कोई भी सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों से नहीं भाग सकती है। सुनवाई अब तक पूरी नहीं हुई और यह कल भी जारी रहेगी।

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