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देवरिया कांड में सिस्टम का निकम्मापन उजागर

देवरिया कांड में सिस्टम का निकम्मापन उजागर हो गया है। मामले की पोल खुलने के बाद और मुख्यमंत्री के...
देवरिया कांड में सिस्टम का निकम्मापन उजागर

देवरिया कांड में सिस्टम का निकम्मापन उजागर हो गया है। मामले की पोल खुलने के बाद और मुख्यमंत्री के तेवरों से अधिकारियों में हड़कंप है। हालांकि विपक्ष पूरे मामले में हमलावर है, लेकिन सरकार की ओर से भी आरोप लगाया जा रहा है कि इन संस्थाओं को बसपा और सपा के ही कार्यकाल में काम दिया गया था।

बहरहाल, शाम छह बजे मुख्यमंत्री रिपोर्ट मिलने के बाद उच्चस्तरीय बैठक करेंगे और रिपोर्ट के आधार पर कुछ अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। उधर, प्रदेश में ऐसे सभी केंद्रों की मुख्यमंत्री की जांच के बाद हरदोई जिले में 21 में से 19 आश्रित लापता मिले हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को देवरिया कांड की जानकारी होने के बाद पूरे प्रदेश में बाल संरक्षण, महिला संरक्षण और विधवा संरक्षण गृह समेत ऐसे सभी संस्थाओं की जांच रिपोर्ट 24 घंटे में तलब की थी। साथ ही, देवरिया जिले के डीएम और एक डीपीओ समेत दो डीपीओ के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए थे। एक हाई लेवल कमेटी महिला एवं बाल कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार और एडीजी महिला कल्याण अंजू गुप्ता की गठित कर हेलीकॉप्टर से देवरिया भेजा गया। 

फिलहाल, दोनों अधिकारियों ने संस्था से मुक्त कराई गई 20 बालिकाओं के बयान लिए हैं और उनका मेडिकल भी कराया गया है। देवरिया में संचालित संस्था के अनुसार आश्रितों की संख्या कुल 42 थी, लेकिन उसके पास सूची उपलब्ध नहीं है। इनमें से 23 को ही मुक्त कराया गया था और बाकि की अभी भी तलाश की जा रही है।

केंद्र सरकार की ओर से 2014 में उत्तर प्रदेश को 281 सचल पालना केंद्र दिए थे। इन केंद्रों में भ्रष्टाचार और अन्य शिकायतों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सीबीआई से वित्तीय जांच कराने के निर्देश दिए थे। इसमें देवरिया में संचालित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण और समाज सेवा संस्थान का भी नाम था। इसलिए उसका वित्तीय अनुदान रोक दिया गया था। इसके बाद भी संस्था की ओर से बिना वित्तीय सहायता मिले कैसे आश्रय स्थलों को चलाया जा रहा था।

महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री रीता बहुगुणा का कहना है कि 2010 में देवरिया वाली संस्था को मान्यता दी गई थी। उस समय बसपा की सरकार थी और सपा कार्यकाल में मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण और समाज सेवा संस्थान को बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया में चलाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग हम पर उंगली उठा रहे हैं, यह घटना उन्हीं लोगों की देन है।

उन्होंने कहा कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण और समाज सेवा संस्थान में कार्य करने वाली प्रतिभा श्रीवास्तव को ही सपा सरकार में चाईल्ड वेलफेयर कमेटी का सदस्य भी बना दिया गया था। पूरे प्रदेश में चाईल्ड वेलफेयर कमेटी में कार्यरत 70 सदस्यों पर भी जल्द कार्रवाई  होगी।

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