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जाने क्या है ‘नाता प्रथा’, जिसका शिकार थी पानी बिना मरने वाली 6 साल की बच्ची

राजस्थान के जालौर जिले के रानीवाड़ा क्षेत्र में पानी नहीं मिलने से रविवार को रेतीले टीलों में 6 साल की...
जाने क्या है ‘नाता प्रथा’, जिसका शिकार थी पानी बिना मरने वाली 6 साल की बच्ची

राजस्थान के जालौर जिले के रानीवाड़ा क्षेत्र में पानी नहीं मिलने से रविवार को रेतीले टीलों में 6 साल की एक मासूम की मौत हो गई। उसकी नानी भी पास ही बेहोश पड़ी मिलीं। बताया जाता है कि बच्ची की मां ‘नाता प्रथा’ के चलते किसी और के साथ चली गई थी।

बच्ची अपनी नानी के साथ थी। जहां बच्ची की मौत हुई है वहां का तापमान 45  डिग्री था। दोनों गर्म टीलों पर सफर कर रहे थे। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने बुजुर्ग महिला को पानी पिलाकर स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया है।

बच्ची और साथ बुजुर्ग महिला ने 25 किलोमीटर का सफर तय किया था। दोनों रायपुर से अपने घर वापस लौट रही थी। कोरोना महामारी की वजह से बंद यातायात के कारण वो दोनों अपने गांव के लिए पैदल रवाना हुए थे। मासूम के शव का पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण पानी न मिलना बताया गया है।

जाने क्या है नाता प्रथा

राजस्थान की कुछ जातियों में प्रचलित नाता प्रथा के अनुसार, कोई भी विवाहित पुरूष या महिला अगर किसी दूसरे पुरूष या महिला के साथ अपनी मर्जी से रहना चाहती है, तो वह एक दूसरे से तलाक लेकर एक निश्चित राशि अदा कर एक साथ रह सकते हैं। इसमें कोई औपचारिक रीति रिवाज नहीं करना पड़ता। इस प्रथा की वजह से वहां की महिलाओ और पुरूषों को तलाक के कानूनी झंझटों से मुक्ति मिल जाती है और उनको अपनी पसंद का जीवन साथी भी मिल जाता है।

कहा जाता है नाता प्रथा को विधवाओं व परित्‍यक्‍ता स्त्रियों को सामाजिक जीवन जीने के लिए मान्‍यता देने के लिए बनाया गया था जिसे आज भी माना जाता है। इस प्रथा में पॉच गांव के पंचों द्वारा पहली शादी के दौरान जन्‍मे बच्‍चे या फिर अन्‍य मुद्दों पर चर्चा कर निपटारा किया जाता है ताकि बाद में दोनों के जीवन में इन बातों से कोई मतभेद न हों।

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