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यूपी में किसानों की सहमति बिना भू अधिग्रहण नहीं

केंद्र की भूमि अधिग्रहण नीति पर भारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि अब से विकास परियोजनाओं के लिए जमीन को भूमि स्वामियों और भूमि धारकों के साथ परस्पर समझौते के जरिए अधिग्रहित किया जाएगा।
यूपी में किसानों की सहमति बिना भू अधिग्रहण नहीं

भूमि अधिग्रहण की इस नई व्यवस्था को कल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की बैठक में किया गया। भूमि अधिग्रहण की इस नई व्यवस्था का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के तहत जमीन हासिल करने में होने वाली देरी से निपटने और भूस्वामियों के साथ किसी कानूनी विवाद से बचना है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा जमीन के बाजार मूल्य (सर्किल रेट) के दोगुने से ज्यादा नहीं होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में यह मुआवजा जमीन के बाजारी मूल्य के चार गुने से ज्यादा नहीं होगा।

एक अधिकारी ने कहा कि भूस्वामियों को अपनी जमीन पर मौजूद प्रॉपर्टी, पेड़ों और खड़ी फसलों की एवज में भी धन दिया जाएगा। यदि जमीन का अधिग्रहण आपसी सहमति से नहीं हो पाता तो फिर वर्ष 2013 के कानून के प्रावधानों और संबंधित सरकार के आदेशों के तहत प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

बैठक में उत्तरप्रदेश गुंडा नियंत्राण :संशोधन: कानून, 2015 को भी मंजूरी दी गई। इसमें मवेशियों की तस्करी, यौन उत्पीड़न, बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी, भीख मांगना और शारीरिक अंग निकालकर उनका अवैध व्यापार भी शामिल है।

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