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उद्धाटन के पहले ढह गया रांची का सबसे बड़ा पुल, अवैध बालू खनन ने किया कमजोर, गुणवत्ता पर उठे सवाल

रांची से कम दूरी पर तमाड़ में कांची नदी पर बना पुल अपने उद्धाटन के पहले ही ढह गया। इल्‍जाम यास तूफान पर...
उद्धाटन के पहले ढह गया रांची का सबसे बड़ा पुल, अवैध बालू खनन ने किया कमजोर, गुणवत्ता पर उठे सवाल

रांची से कम दूरी पर तमाड़ में कांची नदी पर बना पुल अपने उद्धाटन के पहले ही ढह गया। इल्‍जाम यास तूफान पर गया। पहाड़ी नदियों में यूं भी धार बड़ी तेज होती है। कोई तीन दशक में मई के महीने में रांची में सर्वाधिक बरिश हुई। लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के कारण नदी में ऊफान की वजह से पुल पर दबाव बढ़ रहा था जिसे वह झेल नहीं पाया। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि पुल के नीचे ले लगातार जेसीबी की मदद से बालू का अवैध खनन हो रहा था। इससे उसके पाये कमजोर हो गये थे। प्रशासन को शिकायत के बावजूद इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया। अवैध बालू खनन भी इस पुल के ढहने में मददगार साबित हुआ।

पुल का शिलान्‍यास करने वाले आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने आउटलुक से कहा कि पुल निर्माण के तकनीकी पक्ष की जांच होनी चाहिए। वैसे यहां लंबे समय से अवैध तरीके से बालू का खनन होता रहा है जिसका असर पुल पर पड़ा। ग्रामीण लगातार अवैध खनन की शिकायत करते रहे मगर कार्रवाई नहीं हुई। पुल के ढहने से दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है।

(टूटे हुए पुल का हिस्सा, फोटो- आउटलुक)

ग्रामीणों को अब नदी पार करने के लिए करीब 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। करीब छह सौ मीटर लंबे इस पुल का निर्माण रंजन पांडेय ने कराया था। सवाल यह है कि पहाड़ी नदियों के स्‍वभाव से अवगत रहने के बावजूद तीन साल पहले बना पुल इतनी आसानी से कैसे ढह गया। राज्‍य सरकार ने इसकी जांच का आदेश दिया है। हालांकि यास की चपेट में आने से झारखण्‍ड के कुछ और पुराने पुल-पुलिया भी बह गये हैं।

यह पुल बुंडू में चर्चित हाराडीह प्राचीन महामयी मंदिर के पास है। 2014 में आजसू सुप्रीमो और तत्‍कालीन मंत्री सुदेश महतो ने इस पुलिस के निर्माण की आधारशिला रखी थी। करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से पुल के निर्माण का काम करीब तीन साल पहले ही हो गया था मगर लिंक पथों का निर्माण न होने के कारण विधिवत अभी तक इसका उद्धाटन नहीं हुआ था। हालांकि वाहनों का परिचालन शुरू हो गया था। इसे रांची का सबसे बड़ा पुल होने का दर्जा हासिल है। जिस सड़क को यह पुल जोड़़ता है वह तमाड़ से सरायकेल-खरसावां जिला से होते हुए पश्चिम बंगाल तक जाती है। यह पुल बुंडू, तमाड़, सोनाहातू और राहे प्रखंड को जोड़ती थी। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष केशव महतो कमलेश ने मुख्‍यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र लिखकर पुल के ढहने की उच्‍चस्‍तरीय जांच की मांग की है। निर्माण कंपनी को काली सूची में डालने और दोषी अभियंता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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