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कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट कराए हिमाचल सरकार: सुखविंद्र सिंह सुक्खू

शिमलाः कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि कोरोना से हुई मौतों का...
कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट कराए हिमाचल सरकार: सुखविंद्र सिंह सुक्खू

शिमलाः कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि कोरोना से हुई मौतों का जयराम सरकार ऑडिट कराए। इससे दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। कोविड-19 के अलावा मृत्यु की मूल वजह ऑडिट से सामने आएगी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कोरोना के दौरान डयूटी करने के आंकड़े भी सरकार सार्वजनिक करे।

हिमाचल प्रदेश में अभी तक कोविड़ 19 से 3426 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और कुल 1.94 लाख महामारी को मात दे चुके हैं । कॉरोना से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या कुल 2 लाख रही है ।

कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान डॉक्टरों ने कितनी सर्जरी की हैं, भाजपा सरकार को यह भी बताना चाहिए। डेथ ऑडिट इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि कोरोना संक्रमित अनेक लोग गंभीर बीमारियों से पीडि़त थे। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद अस्पतालों में उन्हें गंभीर बीमारियों का इलाज ही नहीं मिला। विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों के पास तक नहीं गए। जिससे किसी की मौत कैंसर से हुई तो कोई किडनी, लीवर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप की बीमारी व ह्दयघात से मृत्यु को प्राप्त हुआ। उन्हें कोरोना हुआ था इसलिए सभी मौतों को महामारी में ही गिना गया।

सुक्खू का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में कोविड अस्पतालों में गंभीर लापरवाही बरती गई। मरीजों की वरिष्ठï डॉक्टरों ने सुध ही नहीं ली। अनेक संक्रमित तो कोरोना के खौफ से ही मर गए। अस्पतालों में उनकी काउंसलिंग होनी चाहिए थी। गंभीर बीमारियों का उचित इलाज किया जाता तो अनेक पीडि़तों की जान बच सकती थी, क्योंकि कोरोना की तो कोई दवा नहीं थी। गंभीर रोगों के रोगी कोराना संक्रमित होने पर अन्य दवाओं के लिए तड़पते रहे। सरकार यह भी बताए कि वैक्सीन की पहली डोज के बाद कितने लोगों की मौत हुई और दोनों डोज लगने के बाद कितने लोग मृत्यु को प्राप्त हुए। डेथ ऑडिट में इसका भी अध्ययन हो कि वैक्सीन लगने के बाद मौत का क्या कारण रहा।

कांग्रेस विधायक ने कहा कि विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा जताया हुआ है, जिसमें बच्चों के अधिक संक्रमित होने की बात कही है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे है। न तो बच्चों केलिए विशेष वार्ड का प्रबंध अस्पतालों में किया गया है, न ही बच्चों के वेंटिलेटर मंगवाए गए हैं। सरकार को तुरंत इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।

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