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राज्‍यपाल की कार्रवाई पर रोक और चुनाव आयोग का मंतव्‍य हासिल करने हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे हेमन्त सोरेन

खुद के नाम माइनिंग लीज यानी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में राज्‍यपाल की कार्रवाई पर रोक लगाने और चुनाव...
राज्‍यपाल की कार्रवाई पर रोक और चुनाव आयोग का मंतव्‍य हासिल करने हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे हेमन्त सोरेन

खुद के नाम माइनिंग लीज यानी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में राज्‍यपाल की कार्रवाई पर रोक लगाने और चुनाव आयोग का मंतव्‍य उपलब्‍ध कराने के लिए मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अधिवक्‍ता पीयूष चित्रेश के अनुसार हेमन्‍त सोरेन के निर्देश पर याचिका दायर कर राज्‍यपाल की कार्रवाई पर रोक लगाने और खुद के नाम माइनिंग लीज से जुड़े मामले में चुनाव आयोग के मंतव्‍य के आधार पर कार्रवाई पर लगाने का आग्रह किया है।

इस मामले में राज्‍यपाल द्वारा आयोग से दूसरा मंतव्‍य मांगे जाने को असंवैधानिक करा दिया है। कहा है कि अगर सेकेंड ओपिनियन के आधार पर राज्‍यपाल कोई कार्रवाई करते हैं तो कार्रवाई से पहले हेमन्‍त सोरेन का पक्ष सुना जाये। चुनाव आयोग के इनकार और राज्‍यपाल द्वारा सेकेंड ओपिनियन की बात से राज‍नीतिक अस्थिरता का माहौल बन रहा है। याद रहे कि खुद के नाम माइनिंग लीज के मामले में भाजपा की शिकायत और मुख्‍यमंत्री की विधानसभा से सदस्‍यता खत्‍म करने के आग्रह के बाद राज्‍यपाल ने पत्र को मंतव्‍य के लिए चुनाव आयोग भेज दिया था।

बीते 25 अगस्‍त को आयोग का मंतव्‍य सीलबंद लिफाफे में राजभवन पहुंचा। मगर आज तक औपचारिक तौर पर आयोग या राजभवन ने मजमून के बारे न तो स्‍पष्‍ट किया न कोई कार्रवाई की। दो माह बाद 27 अक्‍टूबर को राज्‍यपाल ने रायपुर में कहा कि चुनाव आयोग से उन्‍होंने सेकेंड ओपिनियन मांगा है। हालांकि आयोग सेकेंड ओपिनियन के राज्‍यपाल के आग्रह से इनकार करता रहा।

इस घटनाक्रम के बीच हेमन्‍त सोरेन के वकील चुनाव आयोग से, यूपीए के नेता राज्‍यपाल से और खुद हेमन्‍त सोरेन राज्‍यपाल से मिलकर आयोग के मंतव्‍य की मांग कर चुके हैं। सूचना के अधिकार के तहत भी आयोग के मंतव्‍य की मांग की गई मगर आयोग ने इसे आरटीआई से बाहर का मामला करा दिया। इस क्रम में झारखंड की राजनीति बेतरह गरमाई रही।

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