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पश्चिम बंगाल में भाजपा को झटका, चंदन मित्रा ने पार्टी छोड़ थामा टीएमसी का दामन

पूर्व राज्यसभा सांसद, वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा नेता चंदन मित्रा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो...
पश्चिम बंगाल में भाजपा को झटका, चंदन मित्रा ने पार्टी छोड़ थामा टीएमसी का दामन

पूर्व राज्यसभा सांसद, वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा नेता चंदन मित्रा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए हैं। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चंदन मित्रा ने कुछ दिनों पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

एस्पलेनैड में 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक शहीद दिवस रैली में वह औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल हुए। इसके अलावा पूर्व सीपीएम सांसद मोईनुल हसन, कांग्रेस नेता यास्मिन और मिजोरम के एडवोकेट जनरल विश्वजीत देब भी टीएमसी में शामिल हुए। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रैली में इस बात की घोषणा की।

कौन हैं चंदन मित्रा?

चंदन मित्रा 'द पायनियर' अखबार के एडिटर और एमडी हैं। मित्रा बिहार व पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रभारी भी रह चुके हैं। वह 2003 से 2009 के बीच राज्य सभा के लिए नामित किए गए थे। जून, 2010 में भाजपा की तरफ से उन्हें मध्य प्रदेश से राज्य सभा सांसद चुना गया। मित्रा ने 2014 में हुगली सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। हारने पर भी उन्होंने दो लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे।

कहा जा रहा है कि मित्रा समय से मित्रा भाजपा में अलग थलग पड़ गए थे। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि पार्टी छोड़ने वाले को रोका नहीं जाता है। जो सिद्धांतों से बंधे हैं वे पार्टी के साथ हैं। चंदन मित्रा को पार्टी ने भरपूर दिया है, लेकिन वे छोड़ रहे हैं, यह उनका फैसला है। मित्रा ने भी पार्टी को लेकर कोई नाराजगी नहीं जताई है। मित्रा को पार्टी में आडवाणी खेमे का माना जाता था।

तृणमूल को मिलेगा फायदा?

पश्चिम बंगाल में भाजपा बड़ी ताकत के रूप में उभर रही है और उसे रोकने के लिए ममता बनर्जी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। चंदन मित्रा के साथ आने से उनको लाभ मिल सकता है। मित्रा भाजपा की कोर रणनीति से जुड़े रह चुके हैं, ऐसे में वह तृणमूल कांग्रेस की रणनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं और अंदरूनी बातें साझा कर सकते हैं। हालांकि, भाजपा का मानना है कि पार्टी की तब की और अब की रणनीति में जमीन आसमान का अंतर है। पिछले दिनों टीएमसी के बड़े नेता और ममता बनर्जी के करीबी मुकुल रॉय ने पार्टी छोड़ भाजपा का हाथ थामा था। ऐसे में चंदन मित्रा का भाजपा छोड़ना टीएमसी के लिए इस बात का काउंटर करने जैसा है।


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