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आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसानों का 'काला दिवस', करेंगे एक्सप्रेस-वे जाम

नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज सौ दिन पूरे हो गए हैं। अभी भी देशभर के किसान बड़ी तादाद...
आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसानों का 'काला दिवस', करेंगे एक्सप्रेस-वे जाम

नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज सौ दिन पूरे हो गए हैं। अभी भी देशभर के किसान बड़ी तादाद में देश की राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। 100 पूरे होने को लेकर किसान आज इसे काला दिवस के रूप में मनाएंगे। वहीं, कुंडली मानेसर पलवल एक्सप्रेस-वे को पांच घंटे तक जाम करने का ऐलान किया है। केंद्र और किसानों के बीच इस दौरान करीब दस दौर की बातचीत हुई है। लेकिन, ये बेनतीजा रहा है।

किसान केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही है जबकि केंद्र सरकार इसस पीछे हटने से सीधे तौर पर इंतजार कर चुकी है। मोदी सरकार का कहना है कि वो इन कानूनों में संशोधन को तैयार है। किसान के साथ-साथ विपक्ष इसे काला कानून बता रहे हैं। किसानों का आरोप है कि इस कानून के बाद उनकी जमीन कॉर्पोरेट सेक्टर के हाथ चली जाएगी और उन्हें अपनी फसलों की सही कीमत नहीं मिल पाएगी।

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किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन के सौ दिन पूरे होने पर केंद्र सरकार और कृषि कानूनों पर निशाना साधा। अपने ट्वीट के जरिए टिकैत ने लिखा, "इस तरह के क़ानून आ रहे हैं कि अब खुला दूध नहीं बिकेगा। पहले कंपनी को बेचो, फिर वो पैकेट में बेचेगी। गांव से जाएगा 20-30 रुपये किलो और जनता को मिलेगा 80-90 रुपये किलो।" गौरतलब है कि हरियाणा, पंजाब समेत अन्य राज्यों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा की खाप पंचायत किसानों के साथ है। बीते दिनों पंचायत ने सौ रूपए किलो दूध बेचने का ऐलान किया था।

इन सौ दिनों में किसानों के आंदोलन को लेकर कई तरह के सवाल उठे हैं। वहीं, बीते 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाला था। जिसमें लाल किला पर हिंसक प्रदर्शन हुआ था और एक गुट लाल किला पर चढ़ धार्मिक झंडा फहराया था। इस मामले में मुख्य आरोपी दीप सिद्धू को दिल्ली पुलिस ने पिछले दिनों गिरफ्तार किया था। इस दौरान किसानों और पुलिस कर्मी के बीच हिंसक झड़प की भी तस्वीरें सामने आई थी।

किसान आंदोलन से संबंधित मामले पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी में ही नए कृषि कानूनों को अगले आदेश तक रोक लगा चुका है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई सख्त टिप्पणी केंद्र के खिलाफ किया था। कोर्ट ने पूछा था कि उनके पास ऐसी कोई भी याचिका नहीं आई है जिसमें इन कानूनों के समर्थन में बात की गई हो। " चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था, "एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। हमारे सामने एक भी याचिका नहीं है जो कहती है कि ये कृषि कानून फायदेमंद हैं।"

 

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