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देहरादूनः विधानसभा में मनमानी नियुक्तियों का ‘जिन्न’ एक बार फिर ‘बोतल’ से बाहर आया, कांग्रेस ने की जांच की मांग

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती घोटाले की गूंज के बीच ही विधानसभा में मनमानी नियुक्तियों की...
देहरादूनः विधानसभा में मनमानी नियुक्तियों का ‘जिन्न’ एक बार फिर ‘बोतल’ से बाहर आया, कांग्रेस ने की जांच की मांग

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती घोटाले की गूंज के बीच ही विधानसभा में मनमानी नियुक्तियों की जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है और मांग है कि राज्य गठन के बाद से अब तक हुईं तमाम नियुक्तियों की जांच की जाए। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम ने इसे योग्य बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात बताया है।

राज्य गठन के बाद से ही विस में मनमानी नियुक्तियों का मामला चर्चा में रहा है। जो भी स्पीकर रहा, उसने अपने अंदाज में भर्तियां कर दीं। न तो कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही किसी तरह की चयन प्रक्रिया का पालन किया गया। सीधा आरोप है कि जिसे चाहा उसे सरकारी नौकरी दे दी गई। एक स्पीकर ने तो गैरसैंण में काम के नाम पर सीधे ही 70 लोगों को विधानसभा में नौकरी दे दी।

अब कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने इन नियुक्तियों के जिन्न को फिर से बोतल से निकाल दिया है। माहरा की मांग है कि जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती घोटाले की जांच हो सकती है तो विस में मनमानी नियुक्तियों की क्यों नहीं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विधायक प्रीतम सिंह इस मामले में खासे मुखर हैं। उनका कहना है कि चाहें कांग्रेस का स्पीकर रहा हो या भाजपा का। सभी के समय में हुईं मनमानी नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच होनी ही चाहिए। ये योग्य युवाओं के हितों पर कुठाराघात है।

यहां बता दें कि भाजपा की अंतरिम सरकार में स्व. प्रकाश पंत, कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार के समय में यशपाल आर्य, उसके बाद स्व. हरबंस कपूर, फिर गोविंद सिंह कुंजवाल और उसके बाद प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि सभी ने अपने-अपने कार्यकाल में जमकर नौकरियां बांटीं। यही वजह है कि ये मामला आए दिन सुर्खियों में रहता है।

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