- रामगोपाल जाट
राज्यसभा की 58 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजस्थान से भी तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार किए। तीनों उम्मीदवारों ने सोमवार को अपने-अपने पर्चे दाखिल कर दिए। विधानसभा में संख्याबल नहीं होने के कारण कांग्रेस ने इन चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है।
नामांकन पत्र दाखिल करने वालों में भूपेंद्र सिंह यादव, किरोड़ीलाल मीणा और मदनलाल सैनी हैं, जिनका राज्यसभा में जाना तय है। यादव वर्तमान में राजस्थान से ही राज्यसभा सांसद हैं। साथ ही वो भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। 30 जून 1969 को जन्मे यादव अजमेर के रहने वाले हैं, वो साल 2012 से बीजेपी राज्यसभा सांसद हैं। इसके साथ ही बिहार के बीजेपी प्रभारी भी हैं। 48 वर्षीय भूपेंद्र सिंह यादव संसद की 14 कमेटियों में चैयरमैन और सदस्य हैं तथा सुप्रीम कोर्ट के वकील भी हैं।
उनके साथ दो दिन पहले ही राजपा का भाजपा में विलय का वापस लौटे विधायक व राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने अपना नामांकन पत्र भरा है। 3 नवंबर 1951 को जन्मे 66 वर्षीय किरोड़ीलाल मीणा पेशे से चिकित्सक रहे हैं। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पूर्वी राजस्थान का दमदार नेता माना जाता हैं। उनकी छवि एक किसान नेता की रही है। मीणा का जन्म राजस्थान के महवा (दौसा) तहसील में हुआ था। वे डॉक्टर की पढाई करने के बाद राजनीति में शामिल हो गए। इनकी पत्नी गोलमा देवी एक घरेलू महिला थी, पर बाद में राजनितिक में आई और साल 2008 में पहली बार में विधायक बनकर अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बनीं। बीजेपी से जुड़कर कई बार विधायक, मंत्री बने। बाद में 2008 में गुर्जर आंदोलन के दौरान बीजेपी से अलग होकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा की पार्टी राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा ) में शामिल हो गए, लेक़िन राजनैतिक सफलता नहीं मिली। एक बार दौसा से निर्दलीय सांसद भी चुने गए। वर्तमान में भी वह विधायक हैं। मीणा का राजनैतिक जीवन महवा तहसील के सांथा गांव से माना जाता है।
तीसरा नामांकन पत्र दाखिल किया है बीजेपी की राज्य ईकाई में अनुशासन समिति के चैयरमेन मदनलाल सैनी ने। सैनी वर्तमान में भारतीय किसान संघ व भारतीय मजूदर संघ में भी पदाधिकारी हैं। इससे पहले साल 1990 से 1992 तक उदयपुरवाटी से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा दो बार सांसद का चुनाव हार चुके हैं। आरएसएस में मदनलाल सैनी का काफी उंचा कद माना जाता है। सैनी का नाम आरएसएस की तरफ से ही फाइनल किया गया बताया जा रहा है। शेखावाटी में सैनी वोटर्स व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से माली समाज के वोटर्स को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा में जोड़ने के रूप में भी देखा जा रहा है। कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ रही है और बीजेपी के पास पर्याप्त संख्या होने के कारण इन तीनों उम्मीदवारों को जीतना तय है।