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खाद्य सुरक्षा कानून में देरी पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की समय-सीमा संसद के बजाय सरकारी आदेशों के जरिये बढ़ाने और मातृत्‍व भत्‍ते के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
खाद्य सुरक्षा कानून में देरी पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने में देरी के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। जस्टिस मदन लोकूर और जस्टिस यूयू ललित की बैंच ने पीपुल्‍स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टिज यानी पीयूसीएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को यह नोटिस जारी किया है। पीयूसीएल ने राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की समयसीमा केंद्र द्वारा तीन बार बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका के मुताबिक, संसद के जरिये कानून में संशोधन के बजाय सिर्फ सरकारी आदेशों से राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की समयसीमा बढ़ाई गई।  

इस याचिका में महिलाओं को हर महीने 6 हजार रुपये का मातृत्‍व लाभ राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लागू होने की तारीख यानी 5 जुलाई, 2013 से दिए जाने की मांग भी की है। इन दोनों मुद्दों पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा है। राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का केंद्र व राज्‍य सरकारों द्वारा क्रियान्‍वयन न होने से जुड़े अन्‍य मुद्दों के लिए बैंच ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। 

 

गौरतलब है कि महिलाओं को 6 हजार रुपये महीना मातृत्‍व लाभ का प्रावधान शुरू से ही राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में रहा है, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया और मातृत्‍व लाभ एक पायलट स्‍कीम के तहत देश के सिर्फ कुछ ही जिलों तक सीमित हैं। पीयूसीएल ने खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने की तिथि से ही महिलाओं को मातृत्‍व लाभ दिए जाने की मांग उठाई है। 

 

 

 

 

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