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नदियों को बांधे-जोड़े बिना बाढ़-सूखे से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत

गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी जैसी नदियों की अविरल धारा और निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए जल विशेषज्ञों ने तालाबों, छोटी नदियों को बचाने के कार्य से ग्राम पंचायतों को जोड़ने तथा नदियों को बांधे और जोड़े बिना बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत बतायी है।
नदियों को बांधे-जोड़े बिना बाढ़-सूखे से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत

जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार और समाज दोनों को मिलकर साझा भविष्य की चिन्ता करनी है। हमें समझना होगा कि नदी के प्रति हमारी जिम्मेदारी क्या है? उन्होंने कहा कि नदी को जोड़ने से बाढ़ और सूखे से छुटकारा नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा कि नदियों के रख रखाव का काम नदी-पंचायत बनाकर उसे सौंप दिया जाए। उसमें समाज और सरकार दोनों के लोग हों तो नदी विवाद नहीं होगा। नदी जोड़ो योजना तो इतने विवाद पैदा कर देगी कि कोई उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय आसानी से फैसला नहीं कर पाएगा। नदियों के विवाद को निपटाने का कोई स्पष्ट कानून नहीं है, अदालतों के सामने स्पष्टता नहीं है। इस विषय पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।

सिंह ने कहा कि असल में नदियों को बांधे और जोड़े बिना बाढ़ और सूखे से कैसे बचें, इसका नया विज्ञान खोजने की जरूरत है। इन प्रश्नों को विभिन्न राजनीतिक दलों को उठाना चाहिए और आम लोगों को भी जन प्रतिनिधियों से चर्चा करनी चाहिए।

सेव गंगा मूवमेंट की संयोजक एवं जल संसाधन मंत्रालय की विशेषग्य समिति की सदस्य रमा राउत ने कहा कि हमें गंगा को संवैधानिक दृष्टि से हमारी राष्टीय नदी बनाने की दिशा में जरूरी कदम उठाना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए विधिक प्रावधान करना चाहिए।

राउत ने कहा कि समयबद्ध तरीके से गंगा नदी के पारिस्थितिकी प्रवाह को सुनिश्चित किया जाना चाहिए, नदियों में गंदगी का शून्य उत्सर्जन सुनिश्चित करना चाहिए और गंगा, यमुना जैसी नदी की साफ सफाई को सिर्फ ठोस कचरा चुनने..बीनने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। भारतीय समाज की जीवन रेखा नदियों को समाप्त कर विकास हासिल नहीं किया जा सकता।

नदी वापसी अभियान के विजय कुमार ने कहा कि गंगा के नाम पर देश में खेल हो रहा है। निर्मल गंगा और अविरल गंगा का अर्थ घुमा फिराकर समझाया जाता है। अविरलता का अर्थ है कि प्रवाह में कोई अड़चन नहीं हो। बैराज उस अविरलता को खत्म करता है। फरक्का बैराज से कई तरह के नुकसान हुए हैं। उससे टकराकर पानी पीछे लौटता है। इससे कोसी और दूसरी सहायक नदियों का बहाव ठीक नहीं रह पाता। उन्होंने कहा कि ऐसे में केवल कागजी जमा खर्च से गंगा साफ नहीं होंगी और नदियों का संरक्षण नहीं किया जायेगा। भाषा

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