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जजों का सम्मेलन और एक पत्र से उठे सवाल

गुड फ्राइडे से शुरू होकर ईस्टर तक चले भारत के शीर्ष न्यायाधीशों के तीन दिवसीय सम्मेलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसफ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र ने कई सवालों को जन्म दिया है।
जजों का सम्मेलन और एक पत्र से उठे सवाल

ईसाई समुदाय के पवित्र सप्ताह के दौरान इस सम्मेलन को आयोजित करने को लेकर न्यायाधीश जोसफ ने पहले अपनी आपत्ति देश के प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू के सामने जताई थी मगर उन्होंने इस आपत्ति को दरकिनार कर दिया। इस सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यायाधीशों के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया मगर न्यायमूर्ति जोसफ ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा कि परिवार के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने के कारण वह इसमें शामिल नहीं हो सकते। इस पत्र में भी उन्होंने ईसाई धार्मिक दिनों में इस सम्मेलन को आयोजित किए जाने पर आपत्ति जताई। अब कहा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े इस मामले को प्रधानमंत्री के सामने रखने से कहीं विधायिका को न्यायपालिका के कामों में हस्तक्षेप का मौका तो नहीं मिल जाएगा? दूसरा सवाल यह है कि क्या होली, दिवाली, ईद की छुट्टियों पर यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा और यदि होगा तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी?

इस बीच, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के टी थॉमस ने कहा कि गुड फ्राइडे के दिन मुख्य न्यायाधीशों की बैठक बुलाने में कुछ भी गलत नहीं है। थॉमस ने शनिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, यह न्यायाधीशों की बैठक नहीं है। यह देश के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक है। देश में सिर्फ एक ईसाई मुख्य न्यायाधीश हैं और वह हैं उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एम जोसफ। उन्हें इन तारीखों से कोई आपत्ति नहीं है। थॉमस ने कहा, सार्वजनिक कर्तव्य पहले आना चाहिए। अगर कोई ईसाई चिकित्सक कहेगा कि वह आपात मामला नहीं देखेगा क्योंकि गुड फ्राइडे है या अगर कोई ईसाई शीर्ष पुलिस अधिकारी कहेगा कि वह गुड फ्राइडे के दिन ड्यूटी पर नहीं आएगा तो क्या होगा।? थॉमस ने यह भी कहा कि अमेरिका जैसा देश जहां ईसाइयों की बहुलता है वहां गुड फ्राइडे की छुट्टी भी नहीं होती।

सारे विवाद के बीच न्यायमूर्ति जोसफ ने शनिवार को कहा कि वह सिर्फ भारत में धर्मनिरपेक्षता के बारे में गंभीर चिंता जताना चाहते थे। न्यायमूर्ति जोसफ कालाडी में अपने पैतृक घर पर परिवार के सदस्यों द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मीडिया का एक हिस्सा मूल मुद्दे को छोड़कर मुद्दे से गलत तरीके से पेश आ रहा है। उन्होंने कहा, मैं सिर्फ इस महान देश में धर्मनिरपेक्षता के भविष्य पर गंभीर चिंता जताना चाहता था (जिसपर उचित प्राधिकारों को विचार करने की आवश्यकता है)। (इस मुद्दे पर) मेरे या किसी अन्य के बीच कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। लेकिन मुझे दुख है कि मीडिया का एक हिस्सा इसे गलत तरीके से पेश कर रहा है और मूल मुद्दे को छोड़ रहा है। न्यायमूर्ति जोसफ ईस्टर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद आज शाम नई दिल्ली रवाना होंगे।

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