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हड़ताल में शामिल हुए जेएनयू शिक्षक, रोज लेंगे राष्ट्रवाद पर क्लास

देशद्रोह के मामले में जेएनयू छात्र संघ की गिरफ्तारी के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बुलाई गई हड़ताल में विश्वविद्यालय के शिक्षक भी शामिल हो गए हैं। शिक्षकों ने कहा कि वे विश्वविद्यालय लॉन में रोजाना राष्ट्रवाद पर कक्षाएं लेंगे।
हड़ताल में शामिल हुए जेएनयू शिक्षक, रोज लेंगे राष्ट्रवाद पर क्लास

जेएनयू के छात्र सोमवार को विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई और उसके खिलाफ देशद्रोह का मामला हटाने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। कल पटियाला हाउस अदालत परिसर में कन्हैया की पेशी के दौरान दस शिक्षकों और एक छात्र समूह पर हमला किया गया था जिसके बाद शिक्षक संघ ने कक्षाओं के बहिष्कार में छात्रों के साथ शामिल होने का फैसला किया। हमले का शिकार बनने वाले जेएनयू शिक्षक रोहित आजाद ने कहा, प्रशासन न केवल छात्रों, बल्कि शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहा है और हम पर खुलेआम हमला किया जा रहा है जबकि कुलपति चुपचाप सब देख रहे हैं। सत्ता में बैठे कुछ लोगों के दुष्प्रचार के आधार पर पूरी दुनिया अब जेएनयू को राष्ट्र विरोधियों का गढ़ कह रही है। समय आ गया है कि हम अपने छात्रों को सिखाएं कि राष्ट्रवाद क्या है। हर शाम पांच बजे प्रशासनिक खंड के सामने राष्ट्रवाद पर डेढ़ घंटे लंबा व्याख्यान देंगे। जेएनयू शिक्षकों ने इससे पहले प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन करते हुए परिसर में पुलिस की कार्रवाई को मंजूरी देने के विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले पर सवाल किया था। उन्होंने जनता से संस्थान को राष्ट्र विरोधी करार न देने की अपील की थी। हालांकि वे हड़ताल में शामिल नहीं हुए थे।

 

वहीं इस पूरे मामले में दुष्प्रचार का शिकार हो रहे जेएनयू के समर्थन में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी आगे आए हैं। कोलंबिया, येल, हार्वर्ड और कैंब्रिज समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के 400 से अधिक शिक्षाविद परिसर से जुड़े घटनाक्रम को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वाले जेएनयू छात्रों के समर्थन में सामने आए हैं। विभिन्न वैश्विक विश्वविद्यालयों के करीब 455 शिक्षाविदों के हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा गया है,  जेएनयू महत्वपूर्ण सोच, विचार को स्थान देने वाला संस्थान है। ऐसे विचार जो तार्किक सोच, लोकतांत्रिक असहमति, छात्र सक्रियता और बहुलतावादी राजनीतिक सोच वाले हैं। ऐसी सोच को ही वर्तमान सत्ता खत्म करना चाहती है। और हम जानते हैं कि यह समस्या केवल भारत के लिए ही नहीं है।

 

बयान में कहा गया है कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी आलोचनात्मक असहमति और विश्वविद्यालय स्थलों को हमले का निशाना बनाने और इनका विरोध करने का प्रयास किया गया। भारत और विदेशों में भी एक मुक्त, सहिष्णु और लोकतांत्रिक समाज विश्वविद्यालयों द्वारा विचारों से पोषित होते हैं। शिक्षाविदों ने कहा कि दुनियाभर के शिक्षक, छात्र और शिक्षाविद ऐसी विकट स्थिति को देख रहे हैं जो जेएनयू में घटित हो रहा है और इस बारे में चुप रहने से इंकार कर रहे हैं और अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने का विरोध कर रहे हैं।

 

छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के आयोजन को लेकर, जिसमें कथित रुप से भारत विरोधी नारेबाजी की गई उस पर देशद्रोह और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों में काफी आक्रोश है और विपक्षी दलों ने भी इसकी कड़ी आलोचना की है।

 

 

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