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जेटली ने कहा, ईपीएफ पर फैसला बजट पारित होते समय करेंगे

हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके जो पैसा आप अपने बुढ़ापे के लिए बचाते हैं उस भविष्य निधि के पैसे पर टैक्स लगाने की मोदी सरकार की घोषणा ने देश के वेतनभोगी तबके को नाराजगी से भर दिया है। इस नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार अब इस फैसले से पीछे हटने की राह तलाश रही है।
जेटली ने कहा, ईपीएफ पर फैसला बजट पारित होते समय करेंगे

बुधवार को संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके संकेत दिए और कहा है कि सरकार बजट पारित करते समय इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी। हालांकि उन्होंने साफ-साफ नहीं कहा कि सरकार इस प्रावधान को वापस लेने जा रही है फिर भी लोग उम्मीद लगा रहे हैं कि इसे वापस ले लिया जाएगा क्योंकि इस प्रावधान से सबसे अधिक वही तबका प्रभावित हो रहा है जो परंपरागत रूप से भाजपा का समर्थक रहा है। बताया जाता है कि मंगलवार को एनडीए नेताओं ने भी इस बारे में अपनी शंकाएं जेटली के सामने रखी थी और भाजपा के कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह डाला कि इसे भाजपा की बुनियाद ही हिल जाएगी। तब भी जेटली ने यही कहा था कि यदि प्रधानमंत्री की इच्छा होगी तो वे बजट से इस प्रावधान को वापस ले लेंगे। इससे पहले आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ने साफ कर दिया कि अगर इस प्रावधान को वापस नहीं लिया गया तो वह सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगा।

वैसे इस पूरे प्रस्ताव पर सरकार खुद भ्रम की स्थिति में दिखी। पहले यह कहा गया कि कर्मचारी भविष्य निधि के 60 फीसदी राशि पर टैक्स लगेगा, फिर कहा गया कि पहली अप्रैल 2016 के बाद जमा राशि के 60 फीसदी हिस्से पर कर देना होगा और मंगलवार की शाम होते-होते यह कहा गया कि मूलधन पर नहीं बल्कि पहली अप्रैल 2016 के बाद जमा राशि के 60 फीसदी पर मिलने वाले ब्याज पर कर देना होगा। यानी खुद सरकार को यह पता नहीं था कि आखिर वित्तमंत्री का बजट प्रस्ताव है क्या। जो भी हो अगर यह प्रस्ताव वापस लिया जाता है तो करोड़ों वेतनभोगियों को उसका लाभ मिलेगा।

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