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बुद्धिजीवियों ने हमलों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की

जनहस्तक्षेप की गोष्ठी में सांप्रदायिक उन्माद को रोकने के लिए ठोस कदमों की पेशकश
बुद्धिजीवियों ने हमलों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की

देश भर से असहिषुणता, असहमति के स्वरों को कुचलने की साजिशों और हत्याओं के खिलाफ उठ रहे विरोध के स्वरों को अब संगठित आयाम देने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। इसी क्रम में देश के कोने-कोने में बैठकों का दौर जारी है। ऐसी ही एक बैठक जनहस्तक्षेप समूह ने अपनी पहलकदमी से बुलाई, जिसमें बड़ी संख्या में लेखकों, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।

इस बैठक में केंद्र सरकार सेमांग की गई कि सांप्रदायिक आधार पर समाज के ध्रुवीकरण की आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोशिशों तथा मुसलमानों के जानमाल पर हमलों को तुरंत रोका जाए। सरकार की नीतियों की निंदा या विरोध करने वाले किसी भी दर्जे, जाति या धर्म के क्यों न हों, उनके खिलाफ हिंसा बंद की जाए। हिंसा की विभिन्न घटनाओं के पीड़ितों को जल्दी-से-जल्दी न्याय दिलाया जाए। हिंसा के दोषियों को बिना देरी गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाए ताकि उन्हें सजा मिल सके। प्रधानमंत्री हिंदुत्ववादी गुंडों की करतूतों का समर्थन करने और उन्हें शह देने वाले अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करें।  भाजपा के नेतागण सरकारी पुरस्कार लौटाने वाले बुद्धिजीवियों को बदनाम करने का अपना अभियान तुरंत बंद करें।

इसके अलावा तमिलनाडु सरकार से मांग की गई  कि कॉमरेड कोवन को कैद से तुरंत रिहा कर उनके खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं। आजादी पर हमले और बढ़ती फासिस्ट प्रवृतियां-विषय पर आयोजित इस बैठक में प्रो. मनोरंजन मोहंती, जस्टिस राजेंद्र सच्चर, अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार के.एन. दारुवाला, मैनस्ट्रीम पत्रिका के संपादक सुमित चक्रवर्ती, कवि विश्वनाथ त्रिपाठी, कवि पंकज सिंह, चित्रकार अशोक भौमिक, डूटा की अध्यक्ष नंदिता नारायन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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