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दादरी हिंसा पर मुस्लिम संगठन बोले मुल्क नहीं बंटने देंगे

हाल ही में दिल्ली से सटे दादरी में हुई हिंसा समेत देश भर में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे हमलों के खिलाफ मुस्लिम और नागरिक अधिकार संगठनों ने एकजुट होकर कहा ‘फासीवादी ताकतों के खिलाफ मरते-मरते भी लड़ाई जारी रखेंगे लेकिन इंशा अल्लाह मुल्क नहीं बंटने देंगे।’ मौका था जंतर-मंतर पर सांप्रदायिक और जातिगत हमलों के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन का। गौरतलब है कि बीते दिनों दादरी में अखलाक अहमद नामक व्यक्ति के घर में गोमांस होने की अफवाह फैलाई गई, जिसके बाद हिंदू कट्टरपंथियों की भीड़ ने पीट-पीट कर अखलाक को मार दिया और उनके बेटे दानिश को बुरी तरह से घायल कर दिया।
दादरी हिंसा पर मुस्लिम संगठन बोले मुल्क नहीं बंटने देंगे

प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां पकड़ी हुईं थीं। जिनपर प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने संबंधी स्लोगन लिखे थे। ‘बाबरी से दादरी तक न्याय’ की गुहार थी। इसमें न केवल मुस्लिम संगठन बल्कि सिख, दलित और ईसाई भी शामिल हुए। इस मौके पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह सांप्रदायिकता का दौर है। पहली दफा केंद्र में आरएसएस की सरकार बनी है, हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार  आरएसएस की सरकार नहीं थी। भूषण का कहना है कि ऐसा सिर्फ दादरी में ही नहीं हुआ बाकी जगह भी हो रहा है। शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण किया जा रहा है। इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री चुप हैं क्योंकि वह अपने आप को अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विचारक के तौर पर पेश कर रहे हैं। भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी का इस्तेमाल नहीं कर रहे बल्कि इसके लिए उन्होंने अपने लोगों को छूट दे रखी है। वह उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि गुलाबी क्रान्ति तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही शुरू की है। इस दौर में अल्पसंख्यक सहमे हुए हैं लेकिन मुसलमानों को कोई भी भड़काए तो बहकावे में न आएं। सड़कों पर आने से बात नहीं बनेगी बल्कि इसकी काट तलाशनी है। वो काम करना है जो मुश्किल है लेकिन जरूरी है। सभी को सब्र रखते हुए, ठंडे दिमाग से काम लेना है। जिले-जिले में अमन समीतियां बनाईं जाएं, अफवाहों को काटना है, दिल से सोचना है। एक साथ अपने तीज-त्योहार मनाने हैं। सांप्रदायिक इरादों को हर संभव प्रयास से विफल करना है। इस मौके पर प्रशांत भूषण ने इंटरनेशनल पीपल ट्रिब्यूनल बनाने की बात भी रही। उन्होंने कहा कि विचार किया जा रहा है कि इन मसलों को किस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा जाए। इसके अलावा सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह भी दी।

 

विचारक सलीम इंजीनियर ने दादरी और मुजफ्फरनगर जैसे दंगों को मुल्क पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों और देश के कमजोर तबकों पर हमले बंद होने चाहिए। इतिहास गवाह है कि जब भी देश को जरूरत हुई है मुसलमान भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटे। ऑल इंडिया मुस्लिम पॉलिटिक्ल काउंसिल के सदर ने कहा कि दादरी में मोहम्मद अखलाक की मौत हादसा नहीं है। इसे एकल करके न देखा जाए। उन्होंने कहा कि गाय तो एक बहाना है, असल मसला तो देश को हिंदू राष्ट्र बनाना है। क्योंकि गाय अगर मसला होती तो पहले गाय से जुड़े कारोबारियों को मारा जाता। उन्होंने कहा देश में बेशक सरकार हिंदुओं की है लेकिन मुल्क में हिंदुस्तानियों की सरकार की जरूरत है। सत्तर फीसदी मतदाता अभी भी इनकी जहनियत के खिलाफ हैं। यह 30 फीसदी वालों की सरकार है।

 

मुस्लिम संगठनों ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार को भी आड़े हाथों लिया। इनका कहना है कि प्रदेश में अखिलेश सरकार आरएसएस की मदद कर रही है। इन संगठनों का कहना है कि इन्हें न्याय नहीं मिला तो ये अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाने के लिए तैयार हैं। ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के सदर ने कहा कि जिन लोगों ने मुल्क के लिए अपना खून ही नहीं बहाया वे लोग आज राज कर रहे हैं। मुल्क खतरे में पड़ा तो हम भी खतरे में आ जाएंगे। यह अखलाक की शहादत का मसला नहीं बल्कि दस्तूर की शहादत का मसला है। हमें हर सूरत में आरएसएस के मंसूबों को विफल करना है। धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई लड़ने का जज्बा कायम रखना है। न तो गुस्सा होना है न आक्रोशित होना है क्योंकि हमारे गुस्से से इनके चूल्हे जलते हैं। जमीअत उल्मा हिंद के सदर ने बोला कि जमात अपनी जगह है और तंजीम अपनी जगह है लेकिन ऐसे मसलों पर हम सब एक हैं। इंशा अल्लाह चाहे जो भी हो मुल्क नहीं बंटने देंगे। मुस्लिम मुद्दों पर काम कर रहे सिराज तालिब ने बोला कि हम फासीवादियों के साथ नहीं हैं। हम मुल्क के साथ हैं। अखलाक ही हत्या किसी मुस्लिम की हत्या नहीं है बल्कि लोकतंत्र ही हत्या है।

 

प्रदर्शन में प्रदर्शन में ऑल इंडिया मजलिस मुशावारात, जमात-ए-इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, लोक राज संगठन, इंडियन नेशनल लीग, सोशलिस्ट पार्टी और नागरिक अधिकार संगठन पीयूडीआर समेत कई नागरिक अधिकार संगठनों ने हिस्सा लिया। 

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