Advertisement

डीडीसीए दूध का धुला है तो बीसीसीआई और हाईकोर्ट ने क्यों रोका: बेदी

पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने शुक्रवार को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस खेल संस्था में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिये अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
डीडीसीए दूध का धुला है तो बीसीसीआई और हाईकोर्ट ने क्यों रोका: बेदी

डीडीसीए ने आप द्वारा वित्त मंत्री और इसके पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली पर लगाए गए वित्तीय हेराफेरी के आरोपों का कड़े शब्दों में खंडन किया था जिसके बाद बेदी का यह बयान आया है। बेदी ने कहा, ‘उनके दिमाग में यह विचार कैसे आया कि दिल्ली राज्य सरकार को अनियमितताओं की जांच के लिए डीडीसीए से अनुमति की जरूरत है। यदि वे इतने साफ सुथरे हैं तो फिर बीसीसीआई को उनके वार्षिक अनुदान को रोकने की जरूरत क्यों पड़ी। क्या कोई मुझे इसका जवाब देगा।’

उन्होंने कहा, ‘ठीक है वे सभी साफ-सुथरे हैं और वित्तीय अनियिमतताओं में शामिल नहीं है। फिर दिल्ली उच्च न्यायालय को टेस्ट मैच के आयोजन के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) मुकुल मुदगल को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करने की जरूरत क्यों पड़ी। वे पहले भी दिखाते रहे हैं कि सब कुछ ठीक है और उन्हें फिर से ऐसा करने दो। उन्हें रोक कौन रहा है।’

इससे पहले लगातार दूसरे दिन डीडीसीए के सभी शीर्ष पदाधिकारियों ने संवाददाता सम्मेलन में जेटली के खिलाफ आप के कथित आरोपों को सिरे से नकार दिया। इस बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने डीडीसीए में घोटाले का अधिक खुलासा करने की धमकी दी है। आप ने जेटली के 13 साल के कार्यकाल में डीडीसीए में बड़े वित्तीय घोटाले के आरोप लगाए हैं।

आजाद ने कहा, ‘मैं रविवार को अधिक खुलासा करूंगा। आप जो कह रहा है और मेरे पास जो कुछ है उसका 15 प्रतिशत भी नहीं है। मैं किसी से या निलंबित होने से नहीं डरता। मैं कुछ भी गलत नहीं कर रहा हूं। मैं आठ साल से यह मसला उठा रहा हूं। इससे पहले दिन में डीडीसीए के कार्यकारी अध्यक्ष चेतन चौहान ने कहा कि जेटली ने क्रिकेट की बेहतरी के लिए काम किया और फिरोजशाह कोटला को विश्वस्तरीय स्टेडियम में तब्दील किया।’

आजाद ने कहा, ‘जब बंसल डीडीसीए कोष का गबन कर रहे थे तब कार्यकारी समिति में शामिल ये लोग क्या कर रहे थे। क्या वे धृतराष्ट्र थे। और मैं चेतन के मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों को खंडन के लायक नहीं मानता। क्रिकेट सुधार समिति (सीआईसी) की तीन बैठकों के कोई मिनिट्स नहीं है। समिति 2010 में गठित की गई थी लेकिन मैं 2006 से अपनी आवाज उठा रहा हूं।’

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad