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जेएनयू के फरार छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशद्रोह के मामले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण से पहले सुरक्षा की मांग करने वाले जेएनयू के दो छात्रों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। वहीं मगलवार को ही इन पांच छात्रों की गिरफ्तारी के लिए दायर एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई करने के लिए हाईकोर्ट राजी हो गया है। दोनों ही याचिकाओं पर मंगलवार को ही सुनवाई किए जाने की संभावना है।
जेएनयू के फरार छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

दिल्ली हाईकेर्ट के न्यायाधीश बी डी अहमद और न्यायाधीश आर के गाबा की पीठ उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य की याचिका पर तुरंत सुनवाई के लिए सहमत हो गई है। याचिका में कहा गया है कि उनकी जान को खतरा है और वे आत्मसमर्पण से पहले पुलिस सुरक्षा चाहते हैं। पीठ ने कहा, मामले को आज के लिए अधिसूचित किया जाए। 12 फरवरी को जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को परिसर में एक विवादित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने पर देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस दिन से ही जेएनयू के पांच छात्र खालिद, भट्टाचार्य, आशुतोष कुमार, रामा नागा और अनंत प्रकाश नारायण परिसर से गायब थे। पांचों छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर में देखे जाने की जानकारी मिलने के बाद 21 फरवरी की रात को पुलिस दल परिसर पहुंच गया था। हालांकि परिसर में दाखिल होने के लिए कुलपति से अनुमति के लिए पुलिसकर्मी मुख्य द्वार के बाहर इंतजार करते रह गए।

 

वहीं मंगलवार को ही जेएनयू के पांच छात्रों की गिरफ्तारी की मांग करने वाली एक अन्य याचिका पर भी उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय आज उस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने को सहमत हो गया जिसमें भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपी पांच जेएनयू छात्रों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिका पर आज ही सुनवाई की जाएगी। यह याचिका भी न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आर.के. गाबा की पीठ के समक्ष दायर की गई। इसमें जेएनयू प्रशासन को यह निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है कि वह आरोपी पांच छात्रों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को परिसर में प्रवेश की अनुमति प्रदान करे। याचिका में आग्रह किया गया, जेएनयू को निर्देश दिया जाए कि वह आरोपी पांच छात्रों समेत इस मामले से जुड़े अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस को अपने परिसर में प्रवेश की अनुमति दे।

 

वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी अग्रवाल और अधिवक्ता वीके आनंद के जरिये दायर याचिका में विश्वविद्यालय के उन संकाय सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आग्रह किया गया है जो आपराधिक न्याय प्रणाली प्रशासन की प्रक्रिया को बाधित करने की कथित तौर पर कोशिश कर रहे हैं और देश के कानून के उल्लंघन के लिए मदद कर रहे हैं। मीडिया में आई खबरों का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया कि मामले में वांछित जेएनयू के पांच छात्र 21 फरवरी को रात करीब आठ बजे फिर से दिखे। इसमें यह भी कहा गया है कि कल कुलपति ने इन छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली पुलिस को विश्विविद्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इस तरह उपरोक्त तथ्यों से यह पूरी तरह साफ है कि प्रतिवादी देश के कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं रखते और गंदी राजनीति कर देश को बंधक बना रहे हैं। साथ ही याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि केंद्र और दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस तथा जेएनयू को आज की तारीख तक के समूचे घटनाक्रम पर स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया जाए।

 

 

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