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दहेज उत्पीड़न : बंगाल का रिकार्ड सबसे ज्‍यादा खराब

बंगाल के लोग सभ्‍य और समझदार माने जाते हैं। बंगाल जहां के राजा राम मोहन राय ने विधवा विवाह की शुरुआत की थी। बंगाल ने समाज में सती प्रथा को समाप्त करने के लिए अग्रणी भूमिका निभायी थी। आज उसी बंगाल में महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। एक समय दहेज प्रथा व महिला के सम्मान के लिए विश्व में आवाज उठाने वाला बंगाल आज खुद दहेज प्रथा की चपेट में है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) की रिपोर्ट का दावा है।
दहेज उत्पीड़न  : बंगाल का रिकार्ड सबसे ज्‍यादा खराब

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में पूरे देश में बंगाल में सबसे ज्यादा महिलाओं को दहेज प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में बंगाल में कुल 20169 महिलाओं ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत थाने में दर्ज करायीं। यानी राज्य की हर 44वीं महिला दहेज प्रताड़ना की शिकार हुई है। बंगाल के बाद दूसरे पायदान पर राजस्थान है जहां 14383 महिलाओं ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करायी । तीसरे पायदान पर असम है जहां दहेज उत्पीड़न के 11225 मामले सामने आए हैं। चौथे स्थान पर उत्तर प्रदेश है जहां 8660 महिलाओं ने अपने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी।

एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2000 में राज्य में दहेज उत्पीड़न के 4025 मामले सामने आए थे जो अब बढ़ कर 20163 हो गये हैं। देश के महानगरों में दहेज उत्पीड़न के मामले में कोलकाता का तीसरा स्थान है। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में कोलकाता में 876 महिलाओं ने दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी है। इसके अनुसार महानगर की हर  6वीं महिला दहेज प्रताड़ना की शिकार है। यही नहीं शहर में कुल 15 महिलाएं दहेज के नाम पर बलि चढ़ गयी हैं। एनसीआरपी रिपोर्ट के अनुसार दहेज उत्पीड़न के मामले में दिल्ली नं. 1 और हैदराबाद नं. 2 के स्थान पर है।

हाल के दिनों में बंगाल में महिलाओं के साथ दहेज प्रताड़ना की शिकायत ज्यादा सामने आयी है। कोलकाता पुलिस के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2000 से 2015 के बीच पत्नी पर अत्याचार के मामलों में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। पुलिस के अनुसार दहेज प्रताड़ना की शिकायत अधिकतर निम्न वर्ग के परिवारों से आ रही है। हालांकि उच्च वर्ग के लोगों में इस तरह की शिकायत कम होती है। बच्चों पर अपराध के मामले में बंगाल 5 वें पायदान पर है।

राज्य में अन्य अपराधों के साथ-साथ बच्चों के खिलाफ आपराधिक घटनाओं में भी वृद्धि दर्ज की गयी है। वर्ष 2015 की एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वर्ष 2015 में बच्चों के साथ आपराधिक घटना के कुल 4963 मामले दर्ज किए गए। इसके अनुसार राज्य का हर 16 वां बच्चा अपराध का शिकार है। बच्चों के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामलों में महाराष्ट्र नं. 1 के पायदान पर है। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश नं. 2, उत्तर प्रदेश नं.3 और दिल्ली का स्थान चौथे नं. पर है।

बंगाल महिला आयोग की उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डोला सेन ने कहा कि दरअसल दहेज प्रथा आजादी के इतने सालों बाद भी असुर की तरह हमारे समाज में मौजूद है। राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में पुलिस-प्रशासन ऐसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सक्रिय हुआ है। मुख्यमंत्री स्वयं भी इसके प्रति जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। कन्याश्री योजना के माध्यम से शिक्षा के स्तर में सुधार किया जा रहा है। शिक्षित युवतियां ही समाज से इस प्रथा का अंत कर सकती हैं। इसके लिए केवल कानून नहीं बल्कि लोगों को भी जागरूक होना होगा। इससे ही दहेज प्रथा को समाप्त किया जा सकेगा। 

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