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बजट में सामाजिक क्षेत्र कटौतियों से हाल बदतर होंगे

केंद्रीय बजट में सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक विकास से संबंधित योजनाओं में हुई कटौती से फैल रही बैचेनी
बजट में सामाजिक क्षेत्र कटौतियों से हाल बदतर होंगे

मध्याहन भोजन के खरीब हाल को लेकर अक्सर हाय तौबा मचा रही है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि प्रतिदिन एक बच्चे के भोजन के लिए 6 रुपये खर्च होता है। इसी तरह से बूढ़े व्यक्ति को जीवनयापन के लिए सरकारी पेंशन के तहत प्रतिदिन सात रुपये से भी कम रुपये मिलते हैं।

खेती और कृषि बीमा के लिए इतने दावों और योजनाओं के बीच सच यह कि देश के 95 फीसदी गेहूं और धान की खेती और 40 फीसदी कपास की खेती बीमा रहित होती है। शिक्षा के लिए तमाम दावों-वादों के बीच 8.32 फीसदी स्कूलों में सिर्फ एक ही अध्यापक है और वर्ष 2010 से लेकर अब तक देश भर में एक लाख से अधिक स्कूल बंद हो गए है या उन्हें दूसरे स्कूलों से मिला दिए गए हैं। इसकी वजह से   छात्र जिनमें बड़ी संख्या में लड़कियां की है, स्कूलों से बाहर हो गई है। आधार का देश भर में इतना हंगामा है। उसकी सफलता के दावे-दर-दावे पेश किए जा रहे हैं, लेकिन राजस्थान के टौंक इलाके में सिर्फ 20 फीसदी लोग ही इसके जरिए राशन उठा पा रहे हैं, बाकी 80 फीसदी राशन हासिल करने योग्य आबादी इस सिस्टम की वजह से इस बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। पूरे राजस्थान में राशन हासिल करने के लिए आधार के तहत लगाए गई अंगूठे की छाप लेने वाली मशीन के जरिए अधिकतम40 फीसदी ही लोग राश्न हासिल कर पा रहे हैं।

जनता को बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने वाली योजनाओं में इस आम बजट में की गई भीषण कटौती पर आज गंभीर चिता व्यक्त की गई। ये तमाम आंकड़े इसी से संबंधित एक संवाददाता सम्मेलन में सामने आए। इसमें भोजन के अधिकार अभियान, पेंशन परिषद, शिक्षा के अधिकार आंदोलन, कृषि अधिकार, जन स्वास्थ्य अधिकार और दलित तथा सफाई कर्मचारी आंदोलन के लोगों ने विस्तार में बताया कि केंद्र सरकार ने इस बजट में कितने बड़े पैमाने पर आम जन को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं का गला घोट दिया है। इनके लिए आवंटन इतना कम कर दिया गया है कि इसका चलना ही मुश्किल हो गया है। मिसाल के तौर पर इस बार सूखे की जर्बदस्त आंशका है। जिन आठ राज्यों में सूखे की आशंका हैं.उनमें से सात के पास मनरेगा के तहत पैसा खर्च करने के नहीं है। इस तरह के परेशान करने वाले पहलुओं से वाबस्ता कराया, भोजना के अधिकार आंदोलन से जुड़ी कविता श्रीवास्तव और दीपा सिन्हा, पेशन पर सक्रिय निखिल डे, जन स्वास्थ्य अभियान की वंदना, शिक्षा के अधिकार आंदलन के अंबरीश राय और सफाई कर्मचारी आंदोलन के बेजवाडा विल्सन ने।    

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