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क्यों बिकने जा रही है एयर इंडिया

एयर इंडिया के बिकने के पीछे 55 हजार करोड़ रूपये का भारी कर्ज है। पिछले दिनों वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा था कि एयरलाइंस का मार्केट शेयर बहुत कम है, ऐसे में करदाताओं के 55 से 60 हजार करोड़ रुपए का इस्तेमाल कितना जायज है।
क्यों बिकने जा रही है एयर इंडिया

इसके साथ वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार को 15 साल पहले ही एयर इंडिया से बाहर हो जाना चाहिए था। तब वित्त मंत्री ने कहा कि वह नीति आयोग के कर्ज में डूबी एयरलाइंस के निजीकरण के विचार से सहमत हैं लेकिन इस मुद्दे पर सरकार ही निर्णय लेगी। अब केंद्रीय सरकार ने इसके विनिवेश को मंजूरी दे करे जेटली के फैसले पर मुहर लगा दी। जेटली ने कहा था कि भारत में अगर निजी क्षेत्र की  एयरलाइंट अच्छे से  काम कर रही है तो फिर सरकारी कंपनी चलाने की क्या जरूरत। हाल के वर्षों में एयर इंडिया ने वित्त वर्ष 2015-16 को छोड़कर कभी लाभ नहीं कमाया। दरअसल एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में तेज गिरावट देखने को मिली है जबकि उसकी प्रतिद्वंदी कंपनी इंडिगों ने इस मामले में अपनी क्षमता में आक्रामक तरीके से वृद्धि दर्ज कराई। घटते घटते एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी भी 12.9 फीसद पर पहुंच गई है, जो कि पिछले दशक में 35 फीसद पर थी। इससे यह बजार हिस्सेदारी के मामले में संयुक्त रूप से स्पाइस जेट के साथ तीसरे नंबर पर आ गई है।

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