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42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

करीब 42 सालों से जिंदा लाश की तरह केईएम अस्पताल के वॉर्ड नंबर 4 में भर्ती अरुणा शानबाग की मौत हो गई। तीन दिन पहले उन्हें निमोनिया के चलते आईसीयू में रखा गया था।
42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

केईएम अस्पताल के ही एक डॉक्टर से शादी का सपना लिए अरूणा शानबाग हमेशा के लिए सो गईं। शानबाग इसी अस्पताल में नर्स थीं और जिस दिन वह अपनी शादी की छुट्टी पर जाने वाली थीं, उसी दिन अस्पताल के वॉर्ड बॉय ने उनके साथ दुष्कर्म किया और वह कोमा में चली गईं। यह बात लगभग 42 साल पुरानी है।

 

तब से ही अरुणा इस अस्पताल में भर्ती हैं और वह कोमा में थीं। तीन दिन पहले उन्हें निमोनिया हो गया था। इस वजह से उन्हें वेंटीलेटर पर रखना पड़ा था। अरुणा की कहानी दुनिया के सामने लेखिका पिंकी वीरानी लाई थीं। उन्होंने शानबाग पर एक किताब लिखी थी।

 

पिंकी वीरानी ने अरुणा के लिए इच्छा मृत्यु की मांग भी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में वीरानी की अपील को ठुकरा दिया था। उनकी इच्छा मृत्यु पर बहुत आंदोलन हुआ था और अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा था कि उनकी अंतिम सांस तक परिवार के सदस्य की तरह सेवा करते रहेंगे इसलिए उनके लिए इच्छा मृत्यु का फैसला गलत है।

 

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