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आउटलुक विशेष- भारत सरकार के संवेदनशील दफ्तरों पर 50 हजार साइबर हमले

स्कॉरपीयन पनडुब्बी के निर्माण से जुड़े कंप्युटरीकृत दस्तावेजों की हैकिंग भारत से नहीं हुई थी। लेकिन भारत से हैकिंग की कोशिश होती तो क्या इसे रोका जा सकता था? रक्षा मंत्रालय में साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यहां की व्यवस्था भी फुल प्रूफ नहीं है। पनडुब्बी दस्तावेज लीक मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि हम कितना भी डिजीटल इंडिया के नारे लगाएं साइबर सुरक्षा को लेकर देश में सुरक्षा बड़ी चुनौती है।
आउटलुक विशेष- भारत सरकार के संवेदनशील दफ्तरों पर 50 हजार साइबर हमले

रक्षा मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्कॉपीयन पनडुब्बी निर्माण के गोपनीय दस्तावेज फ्रेंच कंपनी के दफ्तर से या उसके किसी पुराने कर्मचारी द्वारा हैक किए गए हैं। ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट `द ऑस्ट्रेलियन` द्वारा दस्तावेजों का दूसरा सेट ऑनलाइन जारी किए जाने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने यह दावा किया कि पनडुब्बी की मारक और हथियार क्षमता को लेकर कोई दस्तावेज लीक नहीं हुआ है।

पुनडुब्बी निर्माण से संबंधित 22,400 पेज के दस्तावेजों के लीक हो जाने की सनसनीखेज घटना के बाद साइबर सुरक्षा को लेकर रक्षा मंत्रालय में नए सिरे से मंथन शुरू हो रहा है। पाकिस्तान और चीन की ओर से ज्यादा खतरा महसूस किया जा रहा है। पिछले एक साल में 50 हजार दफा से अधिक बार संवेदनशील सरकारी दफ्तरों में साइबर हमला हो चुका है। कुछ साल पहले चीन के शैडो नेटवर्क नामक एक संगठन ने भारत के तीन वायुसेना के ठिकानों और भारत-चीन सरहद पर सेना की एक ब्रिगेड की संचार प्रणाली को हैक कर लिया था। इस बारे में जानकारी कई दिनों बाद हो सकी। अमेरिका और कनाडा के जरिए भारतीय एजेंसियों को सूचना मिल सकी थी।

पिछले साल ही प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दफ्तरों की कंप्युटरों की हैक किए जाने की खबरें उड़ी थी। मोदी सरकार के गठन के बाद देश में साइबर सुरक्षा को लेकर एक विशेष पद सृजित किया गया था। विशेष सचिव (साइबर सुरक्षा) के पद पर गुलशन राय को लाया गया। परणामु हथियारों से लेकर हर तरह के गोपनीय तथ्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए `नेशनल क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर` तैयार किया गया। इस बात की तैयारी थी कि सेना के तीनों अंगों की तरह साइबर सुरक्षा के लिए अलग से वाहिनी तैयार की जाएगी। अमेरिकी फौज की तरह साइबर कमांड तैयार किया जाएगा। लेकिन यह परिकल्पना दस्तावेजों में सिमट कर रह गई।

केंद्र सरकार की एजेंसी `कंप्युटर रेस्पांस टीम-इंडिया (सर्ट-इन)` के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में भारत पर 50 हजार साइबर हमले हो चुके हैं। एसोचैम-प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की एक रिपोर्ट है कि 2011 से 2014 के बीच भारत में हैकिंग के अपराधों में तीन सौ फीसद की बढ़ोतरी हुई है। हैकर न सिर्फ तथ्य चुरा रहे हैं, बल्कि, परमाणु बिजली उत्पादन, रेलवे, हवाई उड़ान संचालन से जुड़ी प्रणाली को भी निशाने पर लेने की कोशिश में हैं।

तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो भारत में साइबर सुरक्षा के जानकारों की संख्या बेहद कम है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सचिवालय ने इस बारे में एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें यह बताया गया था कि देश में साइबर सुरक्षा के सिर्फ 556 विशेषज्ञ हैं। जबकि, चीन में सवा लाख और अमेरिका में 91 हजार साइबर विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। भारत में फौरी तौर पर साढ़े चार हजार साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की जरूरत है। फिलहाल, यह रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है।

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