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मुकुल द्विवेदी के हत्‍यारे नहीं चाहते राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव

मीडिया में मथुरा हादसे के पीछे पुलिस की लापरवाही को जिम्‍मेदार माना जा रहा है। खबरों के अनुसार पुलिस बिना पूर्व तैयारी के अतिक्रमण हटाओ अभियान को अंजाम देने पहुंच गई थी और वह भी बिना हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ। पुलिस ने अगर यह लापरवाही की है तो उसे यह दोष दिया जा सकता है। लेकिन बेतुकी मांगों के साथ धरने की आड़ में 250 एकड़ की जमीन पर कब्‍जा करने वाले उन अतिक्रमणकारियों के साथ क्‍या सलूक होना चाहिए, जो कोर्ट के आदेश के बाद भी वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे थे।
मुकुल द्विवेदी के हत्‍यारे नहीं चाहते राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव

धरने में बैठे अतिक्रमणकारियों की मांग थी कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द किया जाए। इसके अलावा इनकी मांगों में वर्तमान करेन्सी की जगह आजाद हिंद फौज करेन्सी शुरू करना, एक रूपये में 60 लीटर डीजल और एक रूपये में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है। करीब दो साल पहले बाबा जय गुरूदेव से अलग हुए समूह के कार्यकर्ताओं ने खुद को आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही घोषित किया था और धरने की आड़ में जवाहर बाग की भूमि पर कब्जा कर लिया था। जमीन बागवानी विभाग की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में प्रशासन के अधिकारियों को जमीन खाली कराने का आदेश दिया था।

मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने हादसे में मारे गए होनहार एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की जान का अफसोस मुअावजा देकर कर दिया है। लेकिन हादसे की मुख्‍य वजह धरने के समय तैनात तत्‍कालीन अधिकारी हो सकते हैं, जिन्‍होंने समय रहते इस समूह का बेजा कब्‍जा नहीं हटवाया।  उसी समय अगर इनके बेतुके धरने को समझकर इन पर तत्‍काल कार्रवाई कर दी जाती तो आज एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के परिवार को यह दिन देखना नहीं पड़ता। (एजेंसी इनपुट)

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