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एक्सक्लूसिव: पंपोर हमला- झेलम के किनारे चौकसी नहीं, दरिया पार कर घुस आए आतंकी

श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर पंपोर में श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर स्थित इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ईडीआई) की इमारत में छिपे आतंकियों को 52 घंटे तक चली कार्रवाई में मार गिराया गया है, लेकिन इस घटना से सुरक्षा चौकसी में खामियां भी सामने आई हैं। खुफिया विभाग के द्वारा राज्य प्रशासन को सतर्क किए जाने के बावजूद सुरक्षा बलों को चौकस नहीं किया गया। नतीजा यह कि झेलम नदी पार कर घुसे आतंकी आराम से इस परित्यक्त सरकारी इमारत में घुस बैठे। उनका इरादा इस इमारत से कुछ ही दूरी पर स्थित सेना के 15 कोर के मुख्यालय और सीमा सुरक्षा बल के शिविर पर हमला करने का था।
एक्सक्लूसिव: पंपोर हमला- झेलम के किनारे चौकसी नहीं, दरिया पार कर घुस आए आतंकी

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में हाईवे पर स्थित यह सात मंजिला इमारत दूसरी बार आतंकियों का लक्ष्य बनी है। इसी साल फरवरी में यहां आतंकी घुस गए थे। 48 घंटे तक जमे रहे। तब सुरक्षा बलों की कार्रवाई में पांच सुरक्षा कर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई थी। तब इमारत में छुपे तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। तब भी यहां झेलम नदी पार कर आतंकियों के घुस आने की पुष्टि हुई थी। झेलम नदी पार कर घुस आए आतंकियों ने नेशनल हाईवे से जा रहे सीआरपीएफ के एक काफिले पर हमला कर आठ सुरक्षा कर्मियों को मार गिराया था। तब हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।

इस बार भी आतंकी सोमवार की सुबह झेलम नदी पार कर आए और ईडीआई की इमारत में छुप कर बैठ गए। सात मंजिली और 70 कमरों वाली इस इमारत की सबसे ऊ परी मंजिल पर ये आतंकी छिपे हुए थे। पिछले साल जुलाई से यह इमारत खाली पड़ी है। यहां घुसे आतंकियों ने इमारत में आग लगा दी थी। सुरक्षा बलों को मारने के लिए आतंकियों ने यह जाल बिछाया था। उनलोगों ने इमारत में जगह-जगह विस्फोटक लगा दिए थे। सुरक्षा बलों ने पहले मोर्टार दागे, फिर गोलीबारी की। दो दिनों तक चली कार्रवाई में यहां घुसे आतंकियों को मार गिराया गया। हालांकि, आतंकियों की ओर से की गई जवाबी फायरिंग में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का एक जवाब और सेना का एक जवाब घायल हो गए।

इस इमारत में फरवरी में हुई मुठभेड़ के बाद जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने यहां सुरक्षा बढ़ाई थी, लेकिन वह अपर्याप्त साबित हुई। संपोरा-पंपोर इलाके में यह सबसे ऊंची इमारत है। इस नाते इसका सैनिक और रणनीतिक महत्व भी है। यहां से कुछ दूरी पर स्थित सेना के 15 कोर का मुख्यालय आतंकियों का लक्ष्य रहा है। इस कोर के पूर्व कमांडिंग अफसर लेफ्टिनेंट जनरल अता हसनैन के अनुसार, सात मंजिली और 6० कमरों वाले इमारत में छुप जाने से रणनीतिक बढ़त मिल जाती है। वहां से सैन्य मुख्यालय पर नजर रखी जा सकती है। हसनैन के अनुसार, जब वे यहां पदस्थापित थे, तब झेलम नदी के किनारे सेना गश्त लगाती थी और शाम सात बजे इलाका बंद कर दिया जाता था। नदी पर किसी नाव की इजाजत नहीं होती थी। बाद में हालात नियंत्रण में आने पर ढील दे दी गई थी।

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