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चुनाव आयोग का चैलेंज, वैज्ञानिक भी ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं कर सकते साबित

ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के आरोप के बीच एक बार फिर चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ईवीएम के साथ कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर बार-बार सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग मई के पहले हफ्ते में मशीन से छेड़छाड़ साबित करने की चुनौती देगा। यह चुनौती 10 दिन तक खुली रहेगी। इस दौरान ईवीएम में तीन से चार स्तर तक टैंपरिंग करने की खुली चुनौती होगी।
चुनाव आयोग का चैलेंज, वैज्ञानिक भी ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं कर सकते साबित

यही नहीं चुनाव आयोग ईवीएम मशीन खोलकर भी उसमें छेड़छाड़ करने की चुनौती दे सकता है। चुनाव आयोग का कहना है कि 2009 में भी ईवीएम की स्वामित्वता पर सवाल उठाए जाने के बाद हमने खुला चैलेंज दिया था लेकिन कोई इसे साबित नहीं कर सका।  

चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से खबर है कि आयोग राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को इस 'ओपेन चैलेंज' में बुलाएगा। इन प्रतिनिधियों के अलावा चुनाव आयोग उन लोगों को भी बुलाएगा जो टेक्नॉलोजी के बारे में अच्छे से जानते हैं। साथ ही उन लोगों और संगठनों को भी बुलाया जाएगा, जिन्होंने व्यक्तिगत तौर पर ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायत की है।

केजरीवाल का चुनाव आयोग पर आरोप है कि इस मामले में कानून का उल्लंघन हुआ है। बगैर 45 दिन पूरा हुए मशीन दूसरे चुनाव में भेज दी गई। केजरीवाल ने आयोग से कहा कि वह ईवीएम उन्हें दे दे, वह दिखा देंगे कि इसमें छेड़छाड़ कैसे की जाती है। बगैर ईवीएम जांच के होने वाले चुनावों को केजरीवाल ने बेकार बताया है।

चुनाव आयोग ने पुरजोर तौर पर केजरीवाल के इन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि यूपी चुनाव में प्रयोग में लाई गई ईवीएम को मध्य प्रदेश के भिंड उपचुनाव के लिए भेजा गया था। आयोग ने कहा कि यूपी से कोई भी ईवीएम मध्य प्रदेश नहीं भेजी गई है।

पंजाब चुनावों के नतीजों के बाद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि राज्य विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे की वजह ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है।

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