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उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण पर केंद्र सरकार को शुक्रवार तक का समय

उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण आयोजित करवाने की व्यवहार्यता के बारे में उसे सूचित करने के लिए केंद्र सरकार को छह मई तक का समय दिया है। राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णय पर अगला आदेश आने तक अंतरिम रोक जारी रहेगी।
उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण पर केंद्र सरकार को शुक्रवार तक का समय

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें केंद्र ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने की व्यवहार्यता के न्यायालय के सुझाव पर जवाब देने के लिए दो और दिन का समय मांगा था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने न्यायालय के सुझाव को केंद्र तक पहुंचा दिया है और सरकार इस पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह ने इस मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल की इस बात को रिकॉर्ड कर लिया कि केंद्र सरकार इस मामले में उपजे विवाद को खत्म करने के लिए विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के इस न्यायालय के सुझाव पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। पीठ ने यह भी कहा कि उसने हटाए गए मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की इस बात पर भी गौर किया कि सरकार द्वारा सुझाव को स्वीकार कर लिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

पीठ ने कहा कि यदि सरकार सुझाव को स्वीकार कर लेती है तो यह लोकतंत्राके लिए अच्छा होगा। मामले की सुनवाई को छह मई के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने कहा कि यदि एजी को सुझाव पर निर्देश नहीं मिलते हैं तब भी मामले की सुनवाई की जाएगी। यह भी संभावना है कि इस मामले को पूर्ण बहस के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया जाए। पीठ का यह मानना था कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अधिकतर मामलों में, कुछ अहम सवाल तैयार करने के बाद मामला संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाता रहा है।

बहरहाल, सिब्बल और सिंघवी ने इस आदेश की रिकॉर्डिंग पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां यह शक्ति परीक्षण का मामला है, जो रावत के लिए विश्वास मत जैसा है और इसे किसी भी तरह से अविश्वास मत नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस की इस दलील पर रोहतगी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के चलते राष्ट्रपति शासन लागू होने की वजह से रावत खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करके विश्वास मत नहीं मांग सकते।

एजी ने कहा कि उत्तराखंड में स्थिति ऐसी है, जहां दोनों ही पक्षों को अपना बहुमत साबित करने के लिए शक्तिपरीक्षण का सामना करना होगा। सिंघवी ने कहा कि शक्ति परीक्षण उस दल के लिए नहीं हो सकता, जो सत्ता में है ही नहीं और जिस व्यक्ति को बहुमत साबित करने के लिए बुलाया जाना है वह मुख्यमंत्री रहा है। पीठ ने कहा, हम रावत को बहुमत साबित करने के लिए कह कर पूर्व स्थिति बहाल नहीं करेंगे।

एजी ने कहा कि शुक्रवार को जब सुनवाई शुरू हो, तब न्यायालय को शक्ति परीक्षण आयोजित करने के तरीकों पर फैसला करना चाहिए। पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन की घोषणा को खारिज करने वाले उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश अगले आदेश आने तक जारी और प्रभावी रहेगा। शुरुआत में ही एजी ने कह दिया था कि शीर्ष अदालत के कल के सवाल को गंभीरता के साथ आगे पहुंचा दिया गया है लेकिन उन्हें कोई दृढ़ निर्देश नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, इस सुबह मुझे जो जानकारी मिली है, वह यह है कि हम शुक्रवार सुबह इसे देखेंगे और फिलहाल यही स्थिति है। सिब्बल और सिंघवी ने भी एजी की बात पर कोई आपत्ति नहीं जताई। 

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