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भाजपा को झटका, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार को कर्नाटक में बहुमत परीक्षण

कर्नाटक में मचे राजनीतिक घमासान पर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। भाजपा और...
भाजपा को झटका, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार को कर्नाटक में बहुमत परीक्षण

कर्नाटक में मचे राजनीतिक घमासान पर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। भाजपा और कांग्रेस-जेडीएस पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल का निर्णय पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को शनिवार शाम चार बजे तक बहुमत सिद्ध करना होगा। जबकि राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था।

राज्यपाल की ओर से भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता दिए जाने के बाद कांग्रेस-जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर बुधवार रात के बाद आज फिर सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।

गुरुवार सबेरे सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने भाजपा विधानमंडल दल के नेता येदियुरप्पा की ओर राज्यपाल को दिए पत्र अदालत में पेश करने को कहा था। 

पेश हुए येदियुरप्पा के पत्र, समर्थन देने वाले अन्य विधायकों के नाम नहीं  

आज सुबह करीब 10.40 बजे जैसे ही सुनवाई शुरू हुई येदियुरप्पा के वकील मुकुल रोहतगी ने 15 और 16 मई को राज्यपाल को दिए येदियुरप्पा के दोनों पत्र अदालत को सौंपे। रोहतगी ने कहा कि पत्र में साफ लिखा है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और जब जरूरी होगी वह बहुमत साबित कर देगी। कांग्रेस और जेडीएस में से कौन उसे समर्थन देंगे, उनके नाम उजागर करने की जरूरत नहीं है। भाजपा के पास आवश्यक संख्या है, जिसे वह सदन में साबित करने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट में इस संख्या को बताने की जरूरत नहीं है?

इस पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस और जेडीएस ने राज्यपाल को लिखित में समर्थन होने की बात कही है, जबकि दूसरी तरफ आपने भी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सरकार बनाने का दावा किया है। ऐसे में राज्यपाल क्या करेंगे? 

कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के समर्थन का दावा 

इस पर रोहतगी की दलील थी कि भाजपा को कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों का समर्थन मिलेगा। वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते। यह देखना राज्यपाल का काम है कि कौन स्थायी सरकार दे सकता है। बहस के दौरान रोहतगी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस-जेडीएस की ओर से राज्यपाल को दिए पत्र में दो लोगों के हस्ताक्षर नहीं हैं। 

जस्टिस सीकरी का कहना था कि आखिरकार यह नंबर गेम है। ऐसे मामले में जब किसी दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं होता तो सरकारिया कमीशन के मुताबिक, पहली प्राथमिकता चुनाव पूर्व गठबंधन का दी जानी चाहिए। इसके बाद निर्दलीय व अन्य समूह के साथ सबसे बड़ी पार्टी को और उसके बाद चुनाव के बाद बने गठबंंधन को मौका मिलना चाहिए। इसलिए हमारे सामने दो रास्ते हैं। 

पहला, हम तय करें कि क्या राज्यपाल का सबसे बड़ी पार्टी को बुलाने का फैसला सही था अथवा नहीं

या फिर 

कल ही फ्लाेर टेस्ट कराया जाए।

जस्टिस सीकरी ने कहा कि अगर दूसरा विकल्प चुनते हैं तब भी पहले मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल, फ्लाेर टेस्ट सबसे सही विकल्प है, राज्यपाल को पहले किसे बुलाना चाहिए, इस पर बाद में निर्णय लिया जा सकता है।      

इस पर, कांग्रेस-जेडीएस के वकील अभिषेक मुन सिंघवी का कहा कि सवाल है कि पहले किसे बुलाया जाए। कांग्रेस-जेडीएस को पहले मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस व जेडीएस शनिवार को फ्लाेर टेस्ट के लिए तैयार हैं। लेकिन उन्होंने भाजपा के पास बहुमत होने के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उसके पास समर्थन पत्र हैं? जब कांग्रेस और जेडीएस के पास बहुमत का गणित है तब राज्यपाल को कैसे लगा कि भाजपा बहुमत साबित कर सकती है? बहुमत के बिना सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया जा सकता है। 

पर्याप्त समर्थन के बाद ही मिलना चाहिए था न्यौता: सिब्बल 

इस बीच, कांग्रेस-जेडीएस की ओर से बहस करते हुए कपिल सिब्बल ने भी यही सवाल उठाया कि अगर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बहुमत होने का दावा करती है तो उसे बताना चाहिए कि किन विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसके बाद ही राज्यपाल द्वारा बुलाए जाने का सवाल आता है। 

बहस को सुनने के बाद जस्टिस सीकरी ने कहा कि शनिवार को सदन में बहुमत परीक्षण होने दिया जाए। यही उचित होगा। हालांकि, इस दौरान येदियुरप्पा के वकील मुकुल रोहतगी ने बहुमत साबित करने के लिए ज्यादा समय मांगने के भरसक प्रयास किए। 

अपने आदेश  तीन जजों की बैंच ने शनिवार 4 बजे बहुमत परीक्षण कराने, तुरंत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने, सभी चुने गए विधायकों को शपथ दिलाने, विधायकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने और बहुमत साबित न होने तक येदियुरप्पा द्वारा कोई अहम नीतिगत निर्णय न लिए जाने को कहा है।  

अदालत ने बहुमत परीक्षण तक कर्नाटक विधानसभा में किसी एंग्लाे इंडियन विधायक को मनोनीत करने से भी मना किया है।

गौरतलब है कि 16 मई को कर्नाटक के राज्यपाल को दिए बीएस येदियुरप्पा के पत्र से भी जाहिर है कि उन्होंंने अपने 104 विधायकों के अलावा आवश्यक बहुमत जुटाने का दावा तो किया मगर उन्हें भाजपा के अलावा किन विधायकाें का समर्थन प्राप्त है, उनके नाम या संख्या नहीं बताई थी। कांग्रेस-जेडीएस के वकीलों ने 117 विधायकों के दावे को नजरअंदाज कर 104 विधायकों वाली भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाए जाने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया है।   

LIVE अपडेट

 -सुनवाई के बाद कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश दिया है। आज से लेकर कल तक येदियुरप्पा कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे। शनिवार को प्रोटेम स्पीकर के अंतर्गत विश्वास मत का परीक्षण होगा। सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के बजाय येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए न्योता देने के राज्यपाल के फैसले पर कोर्ट निकट भविष्य में फैसला सुनाएगा।

 -राज्यपाल के विशेषाधिकार और उसके तहत दिए गए आदेश की न्यायिक जांच के मामलों को लेकर कोर्ट दस हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।

-भाजपा के वकील ने फ्लोर टेस्ट के लिए समय मांगा था, सुप्रीम कोर्ट ने कहा शनिवार से ज्यादा समय नहीं दे सकते। 

-सिंघवी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना होगा कि बहुमत साबित करने के लिए किसे पहले मौका देना चाहिए। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन या भाजपा को। 

-कांग्रेस-जेडीएस शनिवार को बहुमत परीक्षण करने को तैयार, लेकिन राज्यपाल के भाजपा को मौका देने पर सवाल

-सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि शनिवार को बहुमत परीक्षण के दौरान समु‌चित सुरक्ष्‍ाा व्यवस्था करने के लिए डीजीपी को आदेश दिया जाएगा।

--सिंघवी की मांग विधायकों को निडरता से मतदान करने के लिए वीडियोग्राफी और उचित सुरक्षा होनी चाहिए। 

-कुमारस्वामी के लिए उपस्थित सिब्बल ने कहा- गवर्नर के पास सरकार बनाने के लिए पार्टी को आमंत्रित करने का कोई विवेकाधिकार नहीं है।

-भाजपा के वकील का दावा, हमारे पास कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों का समर्थन, अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकते

-सुप्रीम कोर्ट का कहना है, 'यह सिर्फ संख्या का एक खेल है, जिसके पास बहुमत है उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए।'

-सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, कांग्रेस-जेडीएस के लिखित दावे के बावजूद भाजपा को किस आधार पर सरकार बनाने का मौका दिया

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक तरफ आप दावा करते हैं कि आपके पास समर्थन के साथ एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं, कांग्रेस-जेडीएस ने भी राज्यपाल को लिखित में समर्थन होने की बात कही है। राज्यपाल किस आधार पर निर्णय लेते हैं कि कौन-सी सबसे बड़ी पार्टी द्वारा बहुमत के समर्थन के दायरे पर स्थिर सरकार प्रदान कर सकती है।

-रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा - यह जनादेश बदलाव के लिए है। येदियुरप्पा को सबसे बड़ी पार्टी, भाजपा के नेता के रूप में निर्वाचित किया गया है। उनके पास आवश्यक संख्या में विधायकों का समर्थन है। वे सदन में बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। दोनों (कांग्रेस, जेडीएस) पार्टियों में से कौन उन्हें समर्थन देंगे, उनके नाम बताने की जरूरत नहीं है।

खंडित जनादेश  

बुधवार को बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता मिला। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस रात को ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। राज्यपाल ने देर शाम भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था और येदियुरप्पा को 15 दिन में विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। भाजपा राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं चुनाव के बाद बने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 117 विधायक हैं। इस गठबंधन ने भी राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

आधी रात को हुई थी सुनवाई 

कांग्रेस और जेडीएस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया कि राज्यपाल द्वारा बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को रद्द किया जाए या फिर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए न्योता दें क्योंकि उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 112 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एसके बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की। देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुबह पांच बजकर 28 मिनट तक यह सुनवाई चली।

कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया ‌कि शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगायी जानी चाहिए या इसे स्थगित किया जाना चाहिए।

हालांकि पीठ ने कहा, ‘‘हम शपथ ग्रहण समारोह पर रोक नहीं लगा रहे हैं।’’

कोर्ट ने राज्यपाल वजुभाई वाला के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए भेजे गए दो पत्र अदालत में पेश करने का आदेश देते हुए कहा है कि मामले का फैसला करने के लिए उनका अवलोकन आवश्यक है।

 

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