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पोते-पोतियों की याचिका पर 20 अप्रैल तक जवाब देंगे सिंघानिया

रेमंड लिमिटेड के मानद चेयरमैन और देश के जाने माने कारोबारी विजयपत सिंघानिया के खिलाफ उनके ही पोते-पोतियों द्वारा दायर याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय ने सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी ताकि सभी प्रतिवादी अपना हलफनामा दायर कर सकें।
पोते-पोतियों की याचिका पर 20 अप्रैल तक जवाब देंगे सिंघानिया

सिंघानिया के बड़े बेटे मधुपति सिंघानिया के बच्चों - अनन्या (29), रसालिका (26), तारिणी (20) और रैवतहरि (18) ने इस साल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता अनुराधा एवं मधुपति तथा विजयपत सिंघानिया के बीच 30 दिसंबर, 1998 को हुए समझौते को चुनौती दी है। इस समझौते के तहत मधुपति और अनुराधा ने पै‌तृक संपत्ति में अपना और अपने बच्चों का अधिकार छोड़ दिया था। अब उनके बच्चों का कहना है कि उनके नाबालिग रहते उनके माता-पिता और दादा के बीच जो समझौता हुआ वह उन्हें मंजूर नहीं है और पैतृक संपत्ति में उनका भी हिस्सा है।

यह मामला न्यायाधीश गौतम पटेल की अदालत में सुनवाई के लिए आया जिसे उन्होंने प्रतिवादियों को हलफनामा दायर करने के लिए 20 अप्रैल तक टाल दिया। अदालत 20 अप्रैल को ही मामले में वादियों की अंतरिम राहत संबंधी मांग की भी सुनवाई करेगी। सिंघानिया के पोते-पोतियों द्वारा दायर याचिका के मुताबिक समझौता उनके माता-पिता पर जबरदस्ती थोपा गया ताकि वे हर चीज पर अपना अधिकार छोड़ दें। इसमें दावा किया गया है कि उनके पिता उस संपत्ति पर अपने बच्चों का अधिकार नहीं छोड़ सकते जिन पर उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के मुताबिक वे संयुक्त हिंदू परिवार के सदस्य हैं। इसलिए उनका जन्म से पैतृक संपत्ति पर अधिकार है और माता-पिता को इसे छोड़ने का समझौता मानने के लिए वे बाध्य नहीं हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि उनके दादा डॉ. सिंघानिया को उस चल एवं अचल संपत्ति को बेचने अथवा उनके अधिकारों को समाप्त करने का अधिकार नहीं है जबकि वह नाबालिग थे।

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