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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को राष्ट्रपति की फिर मंजूरी

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की समय सीमा समाप्त होने से एक दिन पहले सरकार ने इसे फिर से जारी कर दिया। इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक को राज्यसभा में विपक्ष के कड़े प्रतिरोध के कारण पारित नहीं करा पाने के कारण सरकार ने अध्यादेश को फिर से जारी किया।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को राष्ट्रपति की फिर मंजूरी

 सरकारी सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 31 मार्च को की गई सिफारिश के अनुरूप राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए। पूर्व में जारी अध्यादेश की अवधि कल समाप्त होने जा रही थी, क्योंकि संसद के बजट सत्र में इसके बदले लाए जाने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई है।

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह 11 वां अध्यादेश है जिसमें उन नौ संशोधनों को समाहित किया गया है जो पिछले महीने लोकसभा द्वारा पारित संबंधित विधेयक में शामिल हैं। यह विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया है जहां राजग गठबंधन के पास इसे पारित कराने लायक संख्या का अभाव है।

संबंधित अध्यादेश पहली बार दिसंबर में जारी किया गया था। विपक्ष राजग सरकार द्वारा लाए गए नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में एकजुट है। वह इसे पारित कराने में सरकार को कोई रियायत देने की बजाए अपना रूख और कड़ा करता नजर आ रहा है। सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि संप्रग शासन के समय पारित मूल भूमि अधिग्रहण विधेयक को ही पारित कराया जाए।

अध्यादेश को दोबारा जारी करने का रास्ता साफ करने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह राज्यसभा का सत्रावसान कराया था। संविधान में प्रावधान है कि कोई अध्यादेश जारी करने के लिए संसद के किसी एक सदन का सत्रावसान होना चाहिए। 23 फरवरी से शुरू हुए संसद के बजट सत्र का इन दिनों एक महीने का अवकाश चल रहा है।

संसद की अंतर सत्र अवधि के दौरान सरकार भूमि अधिग्रहण सहित छह अध्यादेश लाई थी जिनमें से पांच की जगह लेने वालेे विधेयकों को संसद से पारित कराने में सरकार सफल रही लेकिन भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर उसे एेसी सफलता नहीं मिल पाई।

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