इस रिपोर्ट को जारी करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव (शिक्षा एवं साक्षरता) डॉ. सुभाष चंद्र खुटिया ने कहा कि हम प्राथमिक शिक्षा को लेकर बहुत काम कर रहे हैं। लेकिन बच्चों के सीखने के परिणाम बहुत सुखद नहीं है। ऐसे में 3 से 8 साल के बच्चों पर केंद्रित यह पेपर बहुत प्रासंगिक है। इसमें एक ग्रुप प्री-प्राइमरी (3-6 साल) का है और दूसरा प्राइमरी (6-8 साल) के बच्चों का है। पेपर में जोर इस बात पर है कि सीखने की प्रक्रिया थोपी नहीं जाए बल्कि यह बच्चों के लिए संदर्भ के हिसाब से प्रासंगिक हो।
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय केयर इंडिया, यूएसएड और अन्य भागीदारों को बधाई देता है क्योंकि इनके प्रयास से बच्चे व्यावहारिक रूप से साक्षर हो रहे हैं न कि केवल नाम की साक्षरता प्राप्त कर रहे हैं। राजन बहादुर, सीईओ और एमडी, केयर इंडिया ने अपने संबोधन में कहा, ‘केयर इंडिया प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में पिछले दो दशकों से कार्य कर रहा है। हमें दृढ़तापूर्वक लगता है कि साक्षरता केवल कोड तोड़ना या अर्थ निकालना नहीं है। विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री के उपयोगकर्ता और उसके अलोचक के तौर पर सशक्त किया जाना चाहिए। इस अवसर पर जोनाथन एडलटन, राजदूत, यूएसएआईडी मिशन डायरेक्टर, भारत ने कहा, ‘प्रारंभिक कक्षाओं की पढ़ाई में गुणवत्तापूर्ण विकास के लिए इन पक्षों में नवीनता की आवश्यकता है- जैसे बच्चों को कैसे पढ़ाया जाता है, शिक्षक कैसे प्रशिक्षित किए जाते हैं, विद्यालयों द्वारा क्या सामग्री उपयोग होती है और प्रारंभिक कक्षाओं की शिक्षा के लिए क्या दृष्टिकोण अपनाया जाता है।