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नीतीश ने अपना नुकसान कर चिराग से लिया बदला, जानें बैकडोर डील की कहानी

मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल से बिहार की राजनीति में भी बड़ी हलचल है। दरअसल अब चिराग-पारस विवाद में...
नीतीश ने अपना नुकसान कर चिराग से लिया बदला, जानें बैकडोर डील की कहानी

मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल से बिहार की राजनीति में भी बड़ी हलचल है। दरअसल अब चिराग-पारस विवाद में जदयू की भूमिका की बातें जोरशोर से होने लगी है। दरअसल, मई 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक मंत्रालय के प्रस्ताव को ठुकराने वाली जदयू दो साल बाद अब एक ही कैबिनेट बर्थ पर तैयार हो गई। इसे लेकर बिहार में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 

दावा किया जा रहा है कि दो साल बाद जदयू फिर एक ही मंत्रालय पर इसलिए तैयार हुई, क्योंकि उसके लिए अभी सबसे अधिक महत्व चिराग पासवान को कैबिनेट में शामिल नहीं होने देने का था। चिराग पासवान ने भी ऐसे ही आरोप जदयू पर मढ़ा है।


लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने गुरुवार को आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में केवल एक सीट के लिए समझौता कर अपनी पार्टी जदयू में भारी असंतोष पैदा कर दिया है।

लोजपा के दिवंगत संस्थापक रामविलास पासवान के बेटे चिराग दावा किया, ‘‘ नीतीश उनके बागी चाचा पशुपति कुमार पारस के लिए एक सीट छोड़ने के लिए सहमत हो गए जिसका उनका एकमात्र उद्देश्य मुझे नीचा दिखाना था।’’

 

जमुई के सांसद चिराग ने कटाक्ष किया, ‘‘क्या मुझ जैसे किसी व्यक्ति के लिए इससे कोई बड़ी उपलब्धि हो सकती है, जो उनके सामने एक बच्चा है और जिसकी उम्र नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर से कम है।’’

 

उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम के बेहद करीबी कहे जाने वाले जिन नेताओं ने उनकी पार्टी को तोड़ने का काम किया, नीतीश ने उन्हें भी नहीं बख्सा।

बता दें कि नीतीश का विरोध कर रहे चिराग ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के विरुद्ध हालांकि अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन वह भाजपा के प्रति वफादार बने रहे थे जिसके परिणामस्वरूप जदयू को भारी नुकसान उठाना पडा था और वह 45 से कम सीटों पर सिमट गया था। भाजपा राजग में सबसे बडी पार्टी के तौर पर उभरकर सामने आयी थी।

 

भाजपा ने अपने चुनाव पूर्व ऐलान के तहत नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखा था पर इस चुनाव के बाद जदयू और लोजपा के बीच संबंधों में खटास और भी बढ गयी थी ।

 

वहीं लोजपा के इकलौते विधायक राज कुमार सिंह ने जदयू के महेश्वर हजारी को सदन में उपाध्यक्ष चुने जाने के समय समर्थन किया। इस पर लोजपा ने सिंह को फटकारा । बाद में सिंह जदयू में शामिल हो गए।

 

पशुपति कुमार पारस द्वारा लोजपा के 4 अन्य सांसदों के साथ एक राजनीतिक तख्तापलट में चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से अपदस्थ किए जाने पर चिराग समर्थकों ने नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू पर अपनी पार्टी में टूट के लिए जिम्मेवार होने का आरोप लगाया था ।

 

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