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मंत्रिमंडल विस्‍तार पर मीडिया बोला : पहले होती थी लॉबिंग, अाजकल हो रहा नामिनेशन

मंगलवार को नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया। यह विस्‍तार और बदलाव पूरी तरह पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने किया है। पार्टी के अन्‍य सूत्रों का इसमें ज्‍यादा दखल और हस्‍तक्षेप नहीं हुआ। इस मंत्रिमंडल को नरेंद्र मोदी और अमित शाह का स्टैंप कहा जा सकता है ।
मंत्रिमंडल विस्‍तार पर मीडिया बोला : पहले होती थी लॉबिंग, अाजकल हो रहा नामिनेशन

अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार विस्‍तार पर बारीक नजर डाले तो ये बात साफ तौर पर उभर कर सामने आती है कि पहले मंत्री बनने के लिए लॉबिंग होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। लॉबिंग में खूब खींचतान होती थी लेकिन अब ऐसा कोई झंझट नहीं है। अब ये एक तरह का नॉमिनेशन है। पीएम मोदी और शाह जिसे चाहते हैं, उसे चुनकर मंत्री बना देते हैं। मंत्रिमंडल विस्‍तार में उत्तर प्रदेश समेत चार और राज्यों में होने वाले चुनावों पर खासा ध्‍यान रखा गया है। खबर के अनुसार एक आम धारणा थी कि भाजपा ब्राह्मण और बनियों की पार्टी है। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा।

अखबार से एक बातचीत में वरिष्‍ठ पत्रकार अ‍ंबिका नंदन सहाय ने कहा कि जब ब्राह्मण-बनिया समीकरण पर भाजपा निर्भर थी तब यह बहुत छोटी पार्टी थी। लेकिन कल्याण सिंह के मामले से यह सबक मिला कि जब तक पिछड़े वोट बैंक का एक महत्वपूर्ण धड़ा टूटकर इनके पास नहीं आएगा तब तक ये जीत दर्ज नहीं कर पाएंगे। कल्‍याण मामले पर सीख लेकर अब यूपी के चुनाव के लिहाज से पीएम मोदी ने अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाया है जबकि उन्हें कोई ख़ास राजनीतिक अनुभव नहीं है। उन्हें इसलिए लिया गया क्योंकि वो कुर्मी समाज से हैं और पिछड़ों में कुर्मी समाज का अच्छा प्रभाव है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में वो अच्छी तदाद में हैं।

सहाय के अनुसार बिहार में नीतीश कुमार से पटखनी खाने के बाद भाजपा को सभी वर्गों को साधने की बात समझ में आई है।वर्ष 2007 में मायावती ने साबित किया कि यदि ब्राह्मणों को ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व दिया जाए तो ये 'विनिंग कार्ड' हो सकता है। मोदी-शाह को एहसास था कि अगर ब्राह्मण भाजपा से अलग हुए तो मायावती के जीत के आसार बन सकते हैं। नजमा और कलराज, एक मुसलमान और एक ब्रह्मण को हटाने का मतलब आने वाले उत्तर प्रदेश के चुनावों के संदर्भ में समझ आता है। 

 

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