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मांगें पूरी नहीं होंगी तो फरवरी 2019 से होगी जाट आरक्षण आन्दोलन की शुरुआत: यशपाल मलिक

जाट आरक्षण आंदोलन की आग फिर सुलगने लगी है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय...
मांगें पूरी नहीं होंगी तो फरवरी 2019 से होगी जाट आरक्षण आन्दोलन की शुरुआत: यशपाल मलिक

जाट आरक्षण आंदोलन की आग फिर सुलगने लगी है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा है कि आगामी 10 फरवरी 2019 तक अगर जाट समाज की मांगें पूरी नहीं होती, तब फरवरी 2019 से देशव्यापी जाट आरक्षण आन्दोलन की शुरूआत होगी।

शुक्रवार को नई दिल्ली के  जन्तर-मन्तर में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा आयोजित एक दिवसीय “जाट आरक्षण धरना” में राष्ट्रीय अध्यक्ष  यशपाल मलिक ने कहा कि 04 मार्च 2014 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा 9 राज्यों के जाटों को आरक्षण दिया था। जिसको उच्चतम न्यायालय द्वारा 17 मार्च 2015 को खत्म कर दिया था। जिसके तुरन्त बाद 26 मार्च 2015 में स्वयं माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जाट समाज के सांसदों, मन्त्रियों व संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के सामने यह विश्वास दिलाया था कि जाट समाज का आरक्षण कानून बनाकर बहाल किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा के अध्यक्षअमित शाह द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 से पहले 08 फरवरी 2017 को दिल्ली में जाट समाज के प्रतिनिधियों को यही विश्वास दिलाया गया था। प्रधानमन्त्री के वादे को लगभग 4 साल होने को आये हैं, जो अभी भी अधूरा है।

 फर्जी मुकदमें वापस लेने की मांग

मलिक ने कहा कि आंदोलन के दोरान बीजेपी द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को बचाने के लिये जाट समाज के हजारों लोगों पर फर्जी मुकदमें दर्ज करा दिये व सैंकड़ों को जेलों में डाल दिया था। जब तक उनको न्याय नहीं मिलता, तब तक पूरे देष का जाट समाज हरियाणा के भाईयों को न्याय दिलाने के लिये संघर्ष करता रहेगा।

ये है रणनीति

1.    फरवरी 2019 से शुरू होने वाले आन्दोलन की तैयारी के लिये देष भर के सभी जाट बाहुल्य राज्यों में 07 जनवरी 2019 से भाईचारा/जाट सन्देश यात्राओं की शुरूआत होगी।

2.    09 व 10 फरवरी 2019 को जसिया-रोहतक से राष्ट्रीय जाट अधिवेशन का आयोजन कर आन्दोलन की व्यापक रणनीति व समय की घोषणा की जायेगी।

3.    10 फरवरी 2019 तक आरक्षण व अन्य मांगों के पूरा ना होने पर प्रधानमन्त्री व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावी स्थलों पर जाट समाज अपना शान्तिपूर्वक विरोध दर्ज करने के लिये धरनों का आयोजन करेगा।

4.    हरियाणा के सभी जिलों पर 07 जनवरी 2019 से भाईचारा सन्देश यात्रा का आयोजन कर सभी गांवों में भाईचारा पंचायतों (36 बिरादरी) का आयोजन कर, हरियाणा में बी.सी.बी. श्रेणी में आरक्षण व आन्दोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापिसी व हरियाणा सरकार की आन्दोलन के दौरान व पहले रची गई साजिषों से अवगत कराया जायेगा। गांव स्तर पर बीजेपी नेताओं का विरोध दर्ज कराने के लिये रणनीति तैयार की जायेगी।

5.    10 फरवरी 2019 तक उपरोक्त सभी मांगें पूरी ना होने पर, फरवरी 2019 से शुरू होने वाले आन्दोलन के साथ देष के अन्य संगठनों (किसानों, दलितों व पिछड़े वर्ग, सरकारी कर्मचारियों, आरक्षण मांगने वाली अन्य जातियों व अल्पसंख्यों) को साथ लेकर लोकसभा 2019 में बीजेपी का पूर्ण विरोध किया जायेगा।

प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन, ये हैं उनकी मांगे

इस दौरान जाट आरक्षण से जुड़े नेताओं ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व केन्द्रीय समाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री के नाम पत्र भी लिखा है जिसमें उनसे मांग पूरी करने की बात कही गई है। पत्र में लिखा है कि मार्च 2016 से फरवरी 2018 तक हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री के साथ केन्द्रीय मन्त्रियों की उपस्थिति में चार बार समझौता होने के बाद भी अभी तक हरियाणा सरकार द्वारा जाट समाज की सभी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। जाट समाज ने अपनी इन मांगों को अविलम्ब पूरा करने के आदेश जारी करने का अनुरोध किया है-

1.    देश भर के जाटों (हिन्दु, मुस्लिम, सिख व बिष्नोई) को केन्द्र की ओ.बी.सी. श्रेणी में शामिल करायें।

2.    हरियाणा में आपकी सरकार द्वारा जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान हुऐ सभी समझौतों को लागू करायें। हरियाणा के जाटों को प्रदेष स्तर पर बी.सी.बी श्रेणी में शामिल करायें व आरक्षण आन्दोलन के दौरान सभी मुकदमों की वापसी करायें।

3.    हरियाणा में सरकारी नौकरियों एस.बी.सी के तहत सफल हुऐ सभी कण्डीडेटों की ज्वाइनिंग करायी जाये। जिस तरह से हरियाणा में इ.बी.पी.जी के कण्डीडेटों की ज्वाइनिंग करायी गयी है।

4.    हरियाणा में आपकी पार्टी के सांसदों व मन्त्रियों द्वारा जाट समाज के साथ किये गये अन्याय व अत्याचार पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये।

5.    देश भर में आन्दोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिया जाये।

6.    उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित आरक्षण से सम्बन्धित आयोग भी जल्द से जल्द सुनवाई पूरी कर उत्तर प्रदेष सरकार को अपनी रिपोर्ट दे। उत्तर प्रदेश सरकार जाट जाति के आरक्षण के साथ-साथ अन्य सभी जातियों के आरक्षण को यथावत रखे।

7.    केन्द्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग द्वारा आरक्षण के वर्गीकरण की प्रक्रिया तुरन्त बन्द की जाये। देष में ओ.बी.सी. जातियों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। पहले उन्हें एस.सी. व एस.टी. जातियों की तरह जनसंख्या के आधार पर 60 प्रतिशत आरक्षण दिया जाये, उसके बाद ही वर्गीकरण किया जाये।

8.    पंजाब, जम्मू-कष्मीर, आन्ध्र प्रदेष व महाराष्ट्र के जाटों को भी प्रदेश स्तर पर आरक्षण दिलाने के लिये आप स्वयं वहां की सरकारों को निर्देशित करें।

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