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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: किसान आंदोलन में 15,000 महिलाएं करेंगी “शक्ति प्रदर्शन”, दिल्ली की सीमाओं का बदलेगा नजारा

तीन नए कृषि संबंधित कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान दिल्ली में करीब सौ दिन से केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन...
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: किसान आंदोलन में 15,000 महिलाएं करेंगी “शक्ति प्रदर्शन”, दिल्ली की सीमाओं का बदलेगा नजारा

तीन नए कृषि संबंधित कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान दिल्ली में करीब सौ दिन से केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें पुरुष किसानों के अलावा महिला और युवा किसान भी शामिल हैं। 

अब सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर किसान आंदोलन में हजारों महिलाएं शामिल होने जा रही हैं। किसान संगठनों ने दावा किया है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की करीब 15,000 महिलाएं दिल्ली की सीमाओं पर अपना “शक्ति प्रदर्शन” करने पहुंच रही हैं। सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में मंचों का संचालन सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाएगा।

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वहीं, आयोजकों ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लगभग 15,000 महिला किसान, कॉलेज के प्रिंसिपल, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में शामिल होंगे।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा है कि उन्होंने इस अवसर पर महिला किसानों को पंजाब और हरियाणा में विभिन्न विरोध स्थलों में शामिल होने के लिए कहा है।

नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर के हजारों किसान दिल्ली की मुख्य सीआओं- सिंधु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं। किसान तीन महीने से अधिक समय से राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान इन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी में कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। जबकि, केंद्र सरकार इसमें संशोधन की बात पर अड़ी हुई है। हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है।

किसान आंदोलन से संबंधित मामले पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी में ही नए कृषि कानूनों को अगले आदेश तक रोक लगा चुका है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई सख्त टिप्पणी केंद्र के खिलाफ किया था। कोर्ट ने पूछा था कि उनके पास ऐसी कोई भी याचिका नहीं आई है जिसमें इन कानूनों के समर्थन में बात की गई हो। " चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था, "एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। हमारे सामने एक भी याचिका नहीं है जो कहती है कि ये कृषि कानून फायदेमंद हैं।"

 

 

 

 

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