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अब पहियों-बैसाखियों पर भी चल सकेगा भारत

भारत में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के प्रति अभी भी रवैया दया या लाचारी वाला ही होता है। महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए न पर्याप्त सुविधाएं हैं और न इन हालातों को बदलने के लिए नजरिया।
अब पहियों-बैसाखियों पर भी चल सकेगा भारत

भारत में विकलांगों की करीब 2.68 करोड़ की आबादी है। अब इस आबादी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसे लोगों की सुविधाओं के लिए 4,800 महत्वपूर्ण इमारतों, सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों, 75 रेलवे स्टेशनों, 25 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन बसों और 3,000 जनकेंद्रित वेबसाइटों को अगले साल जुलाई तक विकलांग अनुकूल सेवाओं में बदलने का लक्ष्य तय किया है।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने सुगम्य भारत अभियान के तहत 48 शहरों में कम से कम 100 महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुगम्यता की जांच करेगा और उन्हें जुलाई, 2016 तक विकलांगों के लिए पूरी तरह से सुगम्य बुनियादी संरचनाओं में बदल देगा।

इस अभियान को तीन महत्वपूर्ण घटकों - सुगम्य वातावरण, परिवहन और सूचना एवं संचार सुगम्यता में बांटा गया है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव मुकेश जैन ने कहा, ‘हमने देश भर के 48 शहरों का चयन किया है और राज्य सरकारों से प्रत्येक शहर की 100 इमारतों की सूची देने को कहा है। हम सुगम्यता जांच के बाद सभी 4,800 इमारतों को रेटो फिटिंग के माध्यम से सुगम्य बनाएंगे।’

अभियान के दूसरे खंड में रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और बसों सहित सार्वजनिक परिवहन को दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘देश में परिवहन तंत्र पूरी तरह अगम्य है। जहां सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को जुलाई 2016 तक सुगम्य बनाने का फैसला किया गया है। घरेलू हवाई अड्डों में काम जुलाई 2019 तक पूरा होगा। ए और बी श्रेणी के 75 रेलवे स्टेशनों को इसी अवधि सन 2016 तक विकलांग अनुकूल बनाया जाएगा।

जैन ने कहा कि 25 प्रतिशत बसें भी परिवहन सुगम्य अभियान में शामिल होंगी। विकलांगों को बेहतर सूचना उपलब्ध कराने के लिए 6,000 जन केंद्रित वेबसाइटों में से 3,000 को सुगम्य बनाया जाएगा। इनमें पासपोर्ट सेवा वेबसाइट शामिल है।

लक्ष्य से सुनिश्चित किया जाएगा कि सार्वजनिक दस्तावेज जैसे कि कानून, नियम और रिपोर्ट और सभी वर्तमान वेबसाइटों में बदलाव हो जिनसे प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के मानक पूरे हो।

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