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कैसे नाकाम हुई भाजपा की समय जुटाने की कोशिश, कल ही साबित करना होगा बहुमत

सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को शनिवार को शाम चार बजे बहुमत साबित करने को कहा है। इससे पहले...
कैसे नाकाम हुई भाजपा की समय जुटाने की कोशिश, कल ही साबित करना होगा बहुमत

सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को शनिवार को शाम चार बजे बहुमत साबित करने को कहा है। इससे पहले कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें 15 दिन का समय दिया था। यानी अब भाजपा के पास लगभग 26 घंटे का वक्त बचा है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान येदियुरप्पा के वकील और ज्यादा वक्त की मांग करते रहे। उनका कहना था कि 15 दिन का समय बहुमत के लिए दिया गया है तो 15 दिन दिया जाना चाहिए। 24 घंटे बहुत कम समय है।

येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने वक्त बढ़ाने को लेकर कई तर्क दिए। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के कई विधायक बेंगलुरु से बाहर हैं जिन्हें आने में वक्त लगेगा इसलिए बहुमत परीक्षण के लिए ज्यादा वक्त मिलना चाहिए।

मुकुल रोहतगी ने सरकारिया कमीशन का हवाला देते कहा है कि फ्लोर टेस्ट के लिए 30 दिन का समय दिए जाने की बात की है, जबकि हमें केवल 15 दिन मिला है।  

मुकुल रोहतगी ने आखिरी प्रयास किया कि फ्लोर टेस्ट के लिए कम से कम सोमवार तक का वक्त दिया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को राज्य के बाहर बंद कर दिया गया है। उन्हें वोट देने के लिए भी आना होगा। तो अधिक समय दें।

लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील खारिज करते हुए कहा कि बहुमत परीक्षण के लिए ऐसी समय अवधि तय करने वाले पिछले कई उदाहरण हैं।

कोर्ट ने कहा कि येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर विचार किया जाए या बीजेपी 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करे। या तो आप कानून मानें या फिर कल शक्ति परीक्षण होने दें। आप तय करें।

इस दौरान कांग्रेस-जेडीएस की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल शनिवार को बहुमत परीक्षण कराने पर राजी हो गए। उनकी ओर से कहा गया कि फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द होना चाहिए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुपीम कोर्ट ने माना कि शनिवार को फ्लोर टेस्ट आयोजित करना बेहतर है और येदियुरप्पा को आमंत्रित करने के गवर्नर के फैसले की वैधता में जाने के बजाए किसी को भी वक्त नहीं देना ज्यादा सही है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शनिवार 4 बजे शक्ति परीक्षण हो। विधायकों को पूरी सुरक्षा होनी चाहिए। मुख्यमंत्री कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते हैं, जब तक बहुमत साबित नहीं हो जाता है।

 

 

 

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