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सभी को सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को सरकार उठा रही कदम, मार्च 2019 है लक्ष्य

सरकार देश में सभी घरों को सातों दिन 24 घंटे भरोसेमंद बिजली उपलब्ध कराने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। इसे...
सभी को सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को सरकार उठा रही कदम, मार्च 2019 है लक्ष्य

सरकार देश में सभी घरों को सातों दिन 24 घंटे भरोसेमंद बिजली उपलब्ध कराने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। इसे प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक में वितरण कंपनियों के लिए बाध्यकारी बनाया जाएगा। इसका पालन नहीं करने पर संबंधित विद्युत वितरण कंपनियों पर जुर्माना भी लगेगा।

इसे मार्च 2019 से लागू करने की योजना है। बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने पीटीआई के साथ विशेष बातचीत में कहा, ‘‘हम मार्च 2019 से चौबीसों घंटे और सातों दिन बिजली उपलब्ध कराना बाध्यकारी बनाने के लिए मंत्रिमंडल में जाएंगे। तकनीकी खामी या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति को छोड़कर बिजली कटौती की अनुमति नहीं होगी। इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने सौभाग्य योजना शुरू की है जिसके तहत हर घर तक बिजली पहुंचायी जानी है। इसे हमने दिसंबर 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही हम मार्च 2019 से 24 घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेंगे।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘बिजली वितरण कंपनियों को अगर किसी इलाके का काम मिला है तो उसके लिए उन्हें शत-प्रतिशत जरूरत के हिसाब से बिजली खरीद समझौता (पीपीए) करना होगा। यह कानून संशोधन का हिस्सा होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इसके लिए ग्राहकों को अधिक शुल्क देना होगा, उन्होंने कहा,  ‘‘नहीं। इसका शुल्क पर कोई असर नहीं होगा।’’ सिंह ने कहा कि बिजली शुल्क अधिक होने का एक बड़ा कारण चोरी और तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटी एंड सी) नुकसान है। इसमें कमी लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘‘बिजली मंत्रालय ने कुछ राज्यों की पहचान की है जहां एटी एंड सी नुकसान 21 प्रतिशत से अधिक है। उसमें कमी लाने के लिए हम उन्हें पत्र लिख रहे हैं।’’ इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत अन्य शामिल हैं। पत्र में इन राज्यों से मार्च 2019 तक एटी एंड सी नुकसान को कम से कम 15 प्रतिशत से नीचे लाने को कहा गया है और इसके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।

मंत्री ने कहा कि बिजली चोरी रोकने के लिए स्मार्ट मीटर और प्री-पेड मीटर को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन मीटरों से बिजली खपत और बिल के बारे में कंपनी के साथ-साथ ग्राहकों को सही जानकारी मिलेगी तथा खपत के हिसाब से बिल का भुगतान होगा। इससे वितरण कंपनियों की स्थिति मजबूत होगी।

उल्लेखनीय है कि हाल में बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली एनर्जी इफीशिएंशी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) ने 50 लाख स्मार्ट मीटर की खरीद की प्रक्रिया पूरी की है।

एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘राज्यों के बीच पारेषण व्यवस्था बेहतर है पर राज्यों के अंदर पारेषण को मजबूत करने की जरूरत है। वितरण नेटवर्क और राज्यों के अंदर पारेषण को मजबूत करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम, आरएपीडीआरपी (रिस्ट्रक्चर्ड एक्सीलेरेटेड पावर डेवलपमेंट एंड रिफार्म प्रोग्राम), डीडीयूजीजेवाई (दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना) और आईपीडीएस (इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम) के तहत मीटर, केबल और ट्रांसफार्मर के लिए राज्यों को कोष उपलब्ध करा रहे हैं। कोई अंतर रहता है तो उसे पूरा करने पर विचार करेंगे।’’

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