मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने वालीं 49 हस्तियों पर ‘राजद्रोह’ का मामला दर्ज करने की चारो ओर निंदा हो रही है। अब केरल में वामपंथी छात्र और युवा संगठनों- स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘ओपन लेटर’ की 1.5 लाख प्रतियां भेजी हैं। ये वही खुली चिट्ठी है जिसे 49 प्रतिष्ठित हस्तियों ने नरेंद्र मोदी को जुलाई में लिखी थीं।
ये संगठन 49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने का विरोध कर रहे हैं। डीआईएफआई के राज्य सचिव एए रहीम ने कहा, "अगर उन्हें लगता है कि 49 हस्ताक्षरकर्ता देशद्रोही हैं, तो कृपया आगे आएं और हम चिट्ठी लिखने वाले सभी लोगों पर मामला दर्ज करें। हम इस कारण से जेलों को भरने के लिए तैयार हैं।"
खबरों के मुताबिक, दोनों संगठनों में से प्रत्येक मोदी को पत्र की एक लाख प्रतियां भेजेगा। एसएफआई ने पहले ही एक लाख प्रतियां डाक द्वारा प्रधानमंत्री को भेजी हैं जबकि डीवाईएफआई के सदस्यों ने कम से कम 50,000 प्रतियां मेल की हैं।
डीवायएफवाय के सचिव रहीम ने कहा कि वे छुट्टियों के तुरंत बाद एक लाख पत्र भेजेंगे। रहीम ने द टेलीग्राफ को बताया, "हमारे बुद्धिजीवियों के खिलाफ मामला हमारे संविधान और उसके मूल्यों को नष्ट करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है।" संविधान में निहित अधिकारों से इनकार करते हुए, भाजपा और आरएसएस उन लोगों को चुप कराने की योजना बना रहे हैं जो उनकी फासीवादी नीतियों के खिलाफ बोलते हैं।"
समर्थन में उतरीं 180 से अधिक हस्तियां
इतिहासकार रोमिला थापर, सिनेमेटोग्राफर आनंद प्रधान, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, एक्टिविस्ट हर्ष मंदर समेत 180 से अधिक सदस्यों ने उस कार्रवाई की निंदा की जिसके तहत 49 हस्तियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। सोमवार को जारी किए गए नए पत्र में प्रमुख हस्तियों ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को खुले तौर पर लिखे गए पत्र को राजद्रोह का मामला कैसे बना दिया गया। हाल में ही सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा था कि सरकार की आलोचना करने पर राजद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 49 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो माह पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई थी।