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किसानों का आंदोलन हुआ और तेज, कल देशव्यापी चक्काजाम

नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर लगभग दो महीने से अधिक समय से...
किसानों का आंदोलन हुआ और तेज, कल देशव्यापी चक्काजाम

नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर लगभग दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालकर बैठे किसान नेताओं ने गाजीपुर बॉर्डर के मंच से गुरुवार को एक बार फिर ऐलान किया 6 फरवरी को देशभर के राष्ट्रीय और राज्य मार्गों में 3 घंटे का चक्का जाम करेंगे।

किसान नेताओं ने कहा है कि 6 फरवरी को देशभर में आंदोलन होगा। इसके साथ ही, दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे तक सड़कों को ब्लॉक भी करेंगे। किसान संगठनों ने चक्का जाम करने का यह ऐलान बजट में किसानों को 'नजरअंदाज' किए जाने, विभिन्न जगहों पर इंटरनेट बंद करने समेत अन्य मुद्दों के विरोध में किया है।


भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि आगामी 6 फरवरी 2021 को तीन घंटे का लंबा 'चक्का जाम' किया जाएगा। हालांकि, किसान नेता टिकैत ने यह भी कहा कि प्रस्तावित यह 'चक्का जाम' दिल्ली में नहीं, बल्कि इसके बाहर सभी जगहों पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान जाम में फंसे लोगों को खाने-पीने का सामान भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लोगों को यह बताएंगे कि सरकार हमारे साथ क्या कर रही है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने किसान नेता राकेश टिकैत के बयान को ट्वीट किया है, '6 फरवरी को तीन घंटे का लंबा जाम किया जाएगा। यह दिल्ली में नहीं, बल्कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में किया जाएगा। जाम में फंसे लोगों को खाना-पानी भी दिया जाएगा। हम लोगों को बताएंगे कि सरकार हमारे साथ क्या कर रही है।'

इसके पहले, उन्होंने कहा कि सरकार पहले की तरह कमेटी (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात कर ले, मगर वे (सरकार) बात नहीं कर रहे, क्योंकि वे इस आंदोलन को लंबा चलाना चाहते हैं। हम बातचीत के लिए कहते रहेंगे कि बात करो।


गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के चलते राजधानी दिल्ली से लगी गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डरों पर किसानों का आंदोलन आज 71वें दिन भी जारी है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई की घोषणा कर चुके हैं। 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या में पिछले दिनों कमी आई थी, मगर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद एक बार फिर से आंदोलन को बड़ी तादाद में किसानों का समर्थन मिलने लगा।

 

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