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हमें जिंदा रहने, प्रेम करने का हक है या नहीं?

इंफाल में शादी कर चुके प्रेमी युगल को जान का खतरा। सांसद, पुलिस, परिजन सब दोनों को अलग कराने में लगे।
हमें जिंदा रहने, प्रेम करने का हक है या नहीं?

इस प्रेम कहानी का अंत क्या होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता। उनके पीछे असम और मणिपुर की पुलिस लगी हुई है। वह भी तब जब दोनों बालिग है और कानूनी रूप से शादी कर चुके हैं। धर्म भी दोनों का एक ही है। यहां दीवार है तो अमीरी-गरीबी की है। मामला किस कदर संजीदा है कि असम के धुबरी लोकसभा सीट से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल भी दोनों को अलग कराने के लिए इंफाल में डेरा डाले हुए थे।

प्रेमी युगल साथ रहने के लिए कटिबद्द हैं और असम छोड़कर इंफाल में दोस्तों के यहां जान बचाकर घूम रहे हैं। बॉलीवुड फिल्म की तरह 18 वर्षीय आर्चिया हबीब और 24 वर्षीय शाहबाज अहमद पुलिस और लड़की के परिवार के दबंगों से जान बचाकर घूम रहे हैं। वे दिखा रहे हैं, अपनी शादी का सर्टिफिकेड, अपनी उम्र का प्रमाण औऱ साथ ही दिखा रहे हैं हिम्मत।

 

दिक्कत क्या है?

दोनों ही असम के कामरूप जगह के रहने वाले हैं। दोनों ही मुसलमान है। परेशानी यह है कि लड़की आचिया हबीब बहुत संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती है। उनके पिता जो सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल के अस्पताल के प्रबंधक तथा सर्जन हैं, इस रिश्ते के सख्त खिलाफ हैं। उनके ही कहने पर सांसद बदरुद्दीन ने मणिपुर के मुख्यमंरी ओकराम इबोबी पर दबाव बनाया और इंफाल प्रशासन से इस प्रेमी युगल को खोजने पर लगाया हुआ है। जहां-जहां ये युगल छिपता है, वहां मणिपुर पुलिस, असम पुलिस के साथ पहुंच जाती है, उन्हें अपने कब्जे में लेने के लिए।

 

प्रेमी युगल को समर्थन

 

इंफाल के सामाजिक कार्यकर्ता पॉलजल ने आउटलुक को बताया कि अब स्थानीय स्तर पर तनाव पैदा किया जा रहा है। मणिपुर की पुलिस इस युगल को पनाह देने वालों को धमका रही है। वह यह कहती फिर रही है कि ये असम के हैं, उन्हें यहां नहीं रहना चाहिए। पॉलजल का कहना है कि अब ये शादी-जुदा जोड़ा अदालत की शरण में जाएगा, ताकि उसे कानूनी सुरक्षा मिले। आर्चिया हबीब और शाबाज अहमद खुलकर बोल रहे हैं कि वे साथ रहना चाहते हैं। खासतौर से लड़की अपने पिता के किसी भी तरह के दबाव में आने को तैयार नहीं है। उसके पिता और सांसद ने मध्यस्थों के जरिए यह संदेश भेजा था कि वह सात दिनों के लिए घर वापस आ जाए और वहां से उसकी शादी कराई जाएगी। इसके जवाब में आचिया ने कहा कि हमारी शादी 24 मई को हो गई है और अब हमें अलग करने की साजिशें बंद की जाएं।हम शांति से रहना चाहते हैं।

 

प्रेम कहानी

शाबाज अहमद और आचिया दोनों एक-दूसरे को कुछ समय से जानते थे। उन्हें इस बात का आभास था कि उनके इस रिश्ते को मंजूरी नहीं मिलेगी। इसी के तहत 20 मई को इंफाल गए। आचिया हबीब बाद में इंफाल प्लाइट से आए। एक दोस्त के रहा ठहरे। बाद में उन्होंने अपने-अपने परिवारवालों को फोन करके कहा कि वे चिंता न करें, हम सुरक्षित हैं। दोनों ने निकाह किया।

बाद में लड़की के पिता डॉ. तेदुल इस्लाम और लड़के के पिता समसुद्दीन अहमद 2जून को इंफाल आए और दोनों को समझाने की कोशिश की कि वे असम जाकर कायदे से शादी कर देंगे। आचिया को अपने पिता की मंशा पर शक हुआ और उसने अपने पिता से यह हलफनामा देने को कहा कि अगर उसे और उसके शौहर, शौहर के परिवालवालों को कोई नुकसान हुआ तो इसका दोषी उन्हें माना जाएगा। इस पर पिता भड़क गए। दरअसल आचिया को पता लग गया था कि उसके पिता ने दिसपुर पुलिस थाने में अगवा करने का मामला दर्ज करा रखा है।

इस बाद लड़की के पिता ने सासंद बदरुद्दीन अजमल को संपर्क किया और मामले में मदद मांगी। वह आए भी, 4 जून को यह सांसद इंफाल पहुंचे और दबाव बनाया। उसका भी दांव अभी तक चला नहीं। दोनों किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए और सांसद से भी मिलने तक नहीं गए।

 शायद इसी लिए अभी तक उनकी प्रेम कहानी लिखी जा रही है। वरना बड़े शहरों की चकाचौंध, मीडिया के शोर से दूर इंफाल में अपने प्रेम को जिंदा रखने की जद्दोजेहद में जुटे ये नौजवाल युगल, कहां खबर भी बन पाते।

इस कहानी का सुखद अंत भी हो सकता है, दुखद भी। उन्हें बड़े पैमाने पर सहयोग चाहिए। उनके सवाल बड़े लोकतांत्रिक सवाल है, वे पूछते हैं, “क्या इस तरह से नेताओं को जनता का ध्यान रखना चाहिए, क्या पुलिस मासूमों की मदद करने के लिए नहीं है, उसे हमें बचाना चाहिए कि नहीं? क्या इस लोकतांत्रिक देश में अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने का अधिकार नहीं है?” पुलिस प्रशासन की निगाह से बचकर प्रेम में डूबे इस युगल की ये गुहार कोई सुनने वाला है भी या नहीं!

 

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