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गोपनीय दस्तावेजः टैक्सी चालकों की भूमिका घेरे में

गोपनीय दस्तावेज लीक मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को कई अहम तथ्यों का पता चला है। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न मंत्रालयों के कई अधिकारी सरकारी वाहन की बजाय किराए की टैक्सियों में चलना ज्यादा पसंद करते हैं।
गोपनीय दस्तावेजः टैक्सी चालकों की भूमिका घेरे में

इन टैक्सियों के ड्राइवर भी संदेह के घेरे में हैं। सूत्र बताते है कि वाहनों की कमी का हवाला देकर किराए पर टैक्सियों को बुलाया जाता है जो कि कनाट प्लेस स्थित एक बड़े ट्रैवल एजेंट की हैं। पुलिस इस एजेंट से भी बात कर सकती है कि मंत्रालयों में जो टैक्सियां लगाई गई है क्या वह टेंडर आदि के जरिए लगाई गई हैं या फिर किसी ने अधिकारियों को खुश करने के लिए दी हैं। क्योंकि निजी टैक्सी चालक अधिकारियों की गतिविधियों पर भी नजर रखते हैं। पुलिस इस दृष्टिकोण से भी जांच कर रही है।

मामले का जैसे-जैसे खुलासा हो रहा है हर दिन एक नई कहानी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक मामला संज्ञान में आने के बाद सरकार किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती।

उधर विपक्ष ने भी इस मामले में सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी  ने पेटोलियम सहित विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेजों की कथित चोरी का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि इसमें बड़े लोगों को बचाया जा रहा है और छोटे लोगों को ही पकड़ा जा रहा है। हालांकि सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने को तैयार है। सरकार ने हालांकि कहा कि जासूसी तथा जासूसी के जेम्स बांडों का पता लगाया जा रहा है।

सरकार इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सपा के नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। इसमें कई मंत्रालय के सरकारी दस्तावेजों को कॉरपोरेट समूहों को लीक किया गया। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार अग्रवाल द्वारा उठाये गये मुद्दे सहित किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, जासूसी तथा जासूसी के जेम्स बांडों का पता लगाया जा रहा है।

सरकार इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। सभापति हामिद अंसारी ने अग्रवाल से कहा कि वह इस मुद्दे पर समुचित चर्चा के लिए नोटिस दें। इसी दौरान माकपा के पी राजीव ने भी कोई मुद्दा उठाने का प्रयास किया जिसे सभापति ने मंजूरी नहीं दी। सरकारी दस्तावेजों की कथित चोरी एवं जासूसी से जुड़े इस मामले में तेल मंत्रालय के दो कनिष्ठ कर्मचारियों तथा रिलायंस इंडस्टीज, कैयर्न इंडिया, एस्सार आयल एवं अनिल धीरूभाई अंबानी समूह सहित शीर्ष कारपोरेट समूहों के पांच अधिकारियों सहित अभी तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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