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कुडनकुलम संयंत्र को लेकर चिंताएं, 20 बार हुआ है ड्रिप

ग्रिड से 2013 में जुड़ने के बावजूद अभी तक उत्पादन के तमाम दावों के बीच बनी हुई है अनिश्चितता
कुडनकुलम संयंत्र को लेकर चिंताएं, 20 बार हुआ है ड्रिप

तमिलनाडू के कुडनकुलम परमाणु बिजली घर को लेकर जो चिंताएं परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु बिजली संयंत्रों की विरोध करने वाले कार्यकर्ता पहले जता रहे थे, वे बहुत कुछ सही साबित हो रही हैं। प्राप्त जानकारियों के मुताबिक, रूसी तकनीक से विकसित कुडनकुलम अपनी कमीशनिंग (चालू होने) 22 अक्टूबर 2013 के बाद से ही 20 दफा ट्रिप कर चुका है। इसके अलावा कमीशनिंग के बाद से अभी तक ठीक से काम भी नहीं कर पा रहा है।

यह देश का पहला परमाणु संयंत्र है जो भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) और रूसी ऑटमस्ट्रोएएक्पोर्ट (एएसई) ने मिलकर बनाया है। यह प्रेशराइस्ड वाटर रिएक्टर जेनरेशन-3 (वीवीईआर-1000) का इकलौता सक्रिय रिएक्टर है। संयंत्र के आंकड़ों के मुताबिक इसका ग्रिड से कनेक्शन 20 बार ड्रिप हुआ है। इस संयत्र का ग्रिड से कनेक्शन 22 अक्टूबर 2013 को हुआ था लेकिन तमाम दिक्कतों की वजह से अभी तक इसने सुचारू रूप से काम करना शुरू नहीं किया है। अभी तक इसकी क्षमता का 25 फीसदी भी इस्तेमाल नहीं हो पाया है। इस बारे में कुडनकुलम संयंत्र को चालू करने का विरोध कर रहे प्रो. उदयकुमार का कहना है क जो चिंताएं हम लोग इस संयंत्र को लेकर जाहिर कर रहे थे, बल्कुल वैसा ही हो रहा है। यह जनता के पैसे के साथ-साथ जनता के जान-माल से भी खिलवाड़ है। उदयकुमार के अलावा परमाणु ऊर्जा पर काम कर रहे कई वैज्ञानक और शोधकर्ता भी इस संयंत्र की स्थिति औ्र रखरखाव को लेकर चिंता जता चुके हैं। परमाणु ऊर्जा पर काम रहे वैज्ञानिक एम.वी. रमना का कहना है कि शुरू से ही इस संयंत्र को लेकर सरकार की नीति ठीक नहीं रही। पहले भी हम लोग ये आशंका जता रहे थे कि इतनी गड़बड़ियों के साथ इसे चालू नहीं किया जाना चाहिए। अब वे सारी दुशचिंताएं सही साबित हो रही हैं।

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