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थलसेना-वायुसेना को 'नए सेनापति' मिले

देश की थलसेना और वायुसेना को शनिवार को 'नए सेनापति' मिल गए। जनरल विपिन रावत नए थल सेनाअध्‍यक्ष का पद संभाल लिया है। निवर्तमान सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने रावत को कमान सौंपी। इससे पहले सुहाग ने अंतिम बार सेना की ओर से दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर निरीक्षण किया। इसी तरह वायुसेना की कमान एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा को सौंपी गई है। निवर्तमान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने धनोवा को यह कमान सौंपी।
थलसेना-वायुसेना को 'नए सेनापति' मिले

इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए सुहाग ने कहा कि सेना ने इस साल सबसे ज्यादा आतंकियों को ढेर किया है। उन्होंने बताया कि 2012 में 67, 2013 में 65 और इस साल 141 आतंकी जम्मू-कश्मीर में मारे गए हैं।

आम तौर पर सेना में ऐसी परंपरा रही है कि सेना प्रमुख बनाते वक्त सीनियरिटी ही पैमाना होता है, लेकिन थलसेना में ऐसा दूसरी बार हुआ कि जब सीनियरिटी को नजरअंदाज कर जूनियर को सेना प्रमुख बनाया गया है। थल सेना प्रमुख बने जनरल विपिन रावत से सीनियर लफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हरिज हैं।

दोनों ने ही पहले अपनी-अपनी नाराजगी व्यक्त की थी लेकिन अब दोनों रावत के अधीन काम करने को तैयार हैं। फिलहाल लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी पूर्वी कमान के प्रमुख हैं और लफ्टिनेंट जनरल हरिज दक्षिण कमान के प्रमुख हैं।

सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख़्शी ने अपने इस्तीफे से जुड़ी सभी अटकलों को खारिज कर दिया है। बख़्शी ने नए साल की पूर्व संध्या पर सेना की पूर्वी कमान में अधिकारियों और जवानों को शुभकामनाएं दी हैं और कहा कि वो सेना की पूर्वी कमान का कामकाज पेशेवर ढंग से संभाले रहेंगे।

इससे पहले इसकी संभावना जताई जा रही थी कि उनसे जूनियर अधिकारी जनरल विपिन रावत को सेना प्रमुख बनाये जाने के फैसले के खिलाफ वे इस्तीफ़ा दे देंगे।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख़्शी ने नए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को बधाई भी दी। लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख़्शी ने उनके संभावित इस्तीफे के बारे में मीडिया और सोशल मीडिया में जारी कयासों पर लगाम लगाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सभी का ध्यान सेना और देश की अच्छाई पर होना चाहिए।
 
हालांकि सरकार का तर्क है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति में मेरिट और काबिलियत को ध्यान में रखा गया है जो मौजूदा चुनौतियों का सामना करने में बेहतर तरीके से सक्षम हैं। अब दुनिया के ज्यादातर देशों की पेशेवर सेनाओं में वरिष्ठता के बजाए प्रोफेशनलिज्म को ध्यान रखा जाता है बात चाहे अमेरिका की हो या फिर चीन की।

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